इस्मा का सरकार से ईंधन एथनॉल आयात ‘अंकुश’ को बनाए रखने का आग्रह

इस्मा का सरकार से ईंधन एथनॉल आयात ‘अंकुश’ को बनाए रखने का आग्रह

इस्मा का सरकार से ईंधन एथनॉल आयात ‘अंकुश’ को बनाए रखने का आग्रह
Modified Date: July 15, 2025 / 06:19 pm IST
Published Date: July 15, 2025 6:19 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने सरकार से ईंधन एथनॉल आयात पर ‘अंकुश’ बनाए रखने का आग्रह किया है और चेतावनी दी है कि इस तरह के आयात की अनुमति देने से राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और हरित ईंधन में आत्मनिर्भरता कमज़ोर हो सकती है।

उद्योग निकाय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि अमेरिका अपने कृषि लॉबी समूहों के समर्थन से, भारत पर इन अंकुशों को हटाने और व्यापक व्यापार वार्ता के हिस्से के रूप में ईंधन के उपयोग के लिए एथनॉल आयात की अनुमति देने के लिए सक्रिय रूप से पैरवी कर रहा है।

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इस बारे में भारतीय वाणिज्य विभाग के अधिकारी अमेरिकी समकक्षों के साथ इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, इस महीने तक ईंधन एथनॉल आयात की अनुमति देने वाले किसी भी नीतिगत बदलाव को लागू नहीं किया गया है।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में मांग की है कि सरकार मिश्रण उद्देश्यों के लिए ईंधन एथनॉल आयात पर मौजूदा अंकुशों को बनाए रखे और स्वदेशी एथनॉल उत्पादन का समर्थन जारी रखे।

बल्लानी ने सरकार से अंशधारकों को ‘नीतिगत स्थिरता’ के बारे में आश्वस्त करने का भी अनुरोध किया, जिससे निरंतर निवेश और किसान-केंद्रित विकास को प्रोत्साहन मिले।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ईंधन एथनॉल आयात को खोलने से कई चुनौतियाँ पैदा होंगी, जिनमें किसानों के भुगतान चक्र में व्यवधान का जोखिम भी शामिल है, खासकर इसलिए क्योंकि एथनॉल की कीमतें गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य से निकटता से जुड़ी हुई हैं।

यह घरेलू क्षमता निर्माण, निवेश और रोज़गार सृजन में प्राप्त महत्वपूर्ण लाभ को भी कम कर सकता है, और भारतीय एथनॉल संयंत्रों का कम उपयोग हो सकता है, जिनमें से कई अब भी पूंजी निकालने के शुरुआती चरण में हैं।

मौजूदा वक्त में, सरकार ने एथनॉल आयात को ‘अंकुश की श्रेणी’ में रखा है।

भारत कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए अपने घरेलू एथनॉल उद्योग को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रहा है, जिसका लक्ष्य मूल वर्ष 2030 के लक्ष्य से पहले 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण (ई-20) के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

वर्ष 2018 से भारत की एथनॉल उत्पादन क्षमता में 140 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जिसमें 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। बल्लानी ने कहा कि एथनॉल मिश्रण 18.86 प्रतिशत तक पहुंच गया है और ‘‘हम इसी वर्ष 20 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’’

उन्होंने आगे कहा कि आज, एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम केवल एक ऊर्जा कार्यक्रम नहीं है, बल्कि समावेशी ग्रामीण विकास का एक मॉडल है, जो 5.5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और उनके परिवारों को सशक्त बना रहा है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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