नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं और वहां काम करने वाले कर्मचारियों को अब मंदिर परिसर में नंगे पैर जाने की जरूरत नहीं होगी। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने श्रद्धालुओं और कर्मचारियों को हाथ से बनी कागज की चप्पलें (स्लिपर) की बिक्री शुरू करने का फैसला किया है। सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। ये चप्पलें काशी विश्वनाथ मंदिर के गलियारे में स्थित खादी दुकान पर उपलब्ध होंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं तथा मंदिर के कर्मचारियों को अब नंगे पांव मंदिर परिसर में प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। 14 जनवरी से केवीआईसी हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की बिक्री शुरू करेगा।’’ इन चप्पलों को इस्तेमाल के बाद फेंका जा सकता है। यानी ये ‘यूज एंड थ्रो’ स्लिपर होंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों के लिए जूट से बनी चप्पलें भेजी हैं। प्रधानमंत्री को यह जानकारी मिली थी कि वहां काम करने वाले लोगों को नंगे पैर रहना पड़ता है। इसके बाद केवीआईसी ने यह घोषणा की है। मंत्रालय ने कहा कि ये चप्पलें पर्यावरणानुकूल हैं और कम कीमत पर उपलब्ध होंगी।