सड़क परिवहन मंत्रालय वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में कर रहा काम: गडकरी

सड़क परिवहन मंत्रालय वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में कर रहा काम: गडकरी

सड़क परिवहन मंत्रालय वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में कर रहा काम: गडकरी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:17 pm IST
Published Date: February 16, 2021 3:51 pm IST

चेन्नई, 16 फरवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यहां कहा कि ईंधन के बढ़ते दाम को देखते हुए सड़क परिवहन मंत्रालय ने लिथियम ऑयन और हाइड्रोजन सेल जैसे वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में संभावना टटोलने के लिये कदम उठाया है।

केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान में चमड़ा संकुल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एल्युमीनियम ऑयन और स्टील ऑयन बैटरी पर भी चर्चा की जा रही है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) मंत्री गडकरी ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव यह है कि देश में वैकल्पिक ईंधन अपनाने का समय है। मैं भारत में अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता के साथ ईंधन के रूप में इसके उपयोग पर जोर देता रहा हूं और अब 81 प्रतिशत लिथियम ऑयन बैटरी भारत में बन रहे हैं।’’

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उन्होंने कहा कि मंत्रालय हाइड्रोजन ईंधन सेल विकिसत करने के कार्य में भी लगा है।

गडकरी ने कहा, ‘‘हम जीवाश्म ईंधन के विकल्प पर काम कर रहे हैं। क्योंकि यह देश के लिये काफी महत्वपूर्ण है।’’

फिलहाल देश 8 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन का आयात करता है।

उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि वैश्विक बाजार में जीवाश्म ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं और भारत में 70 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन का आयात होता है।

गडकरी ने कहा कि उन्होंने हाल ही में जैव-सीएनजी संचालित ट्रैक्टर को पेश किया। इसमें ईंधन के रूप में पराली, गन्ने की खोई, कपास फसल के अवशेष का उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें वैकल्पिक ईंधन उद्योग को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है और तमिलनाडु कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य है।’’

मंत्री ने कहा कि मैं राज्य सरकार से कृषि अवशेषों से ईंधन बनाने और किसानों को उससे अधिक आय प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करने का आग्रह करता हूं।

फास्टैग अनिवार्य किये जाने की समयसीमा आगे बढ़ाये जाने के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई विस्तार नहीं होगा।’’

उल्लेखनीय है कि वाहनों के लिये टोल प्लाजा पर फास्टैग के जरिये पथकर भुगतान को अनिवार्य कर दिया गया है।

भाषा

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रमण मनोहर

मनोहर


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