नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) भारत में छोटे तथा मझोले शहरों में छोटे कारोबार चलाने वाली अधिकतर महिलाएं अपनी जरूरतों के अनुरूप अनुकूलित वित्तीय उत्पाद चाहती हैं। ऐसी उद्यमियों में से एक तिहाई को विभिन्न योजनाओं के बावजूद ऋण प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई।
व्यवसाय प्रबंधन मंच ‘टाइड’ द्वारा जारी भारत महिला आकांक्षा सूचकांक (बीडब्ल्यूएआई) 2025 के अनुसार, गारंटी की कड़ी आवश्यकताएं और कम वित्तीय जानकारी अवरोध उत्पन्न करती हैं। इन मुद्दों का हल करने के वास्ते वैकल्पिक ऋण विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिए तत्काल नीतिगत बदलाव की आवश्यकता है, जैसे गारंटी-मुक्त वृहद ऋण और लैंगिंक-संवेदनशील ऋण प्रथाएं।
रिपोर्ट में कहा गया कि छोटे, मझोले और उससे इतर शहरों की महिला उद्यमी महत्वाकांक्षी हैं, डिजिटल रूप से जागरूक हैं और आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं लेकिन वित्त, नेटवर्क और पहुंच में संरचनात्मक खाई के कारण वे पीछे रह जाती हैं।
‘टाइड’ ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए छोटे व मझोले शहरों में 1,300 से अधिक नई व मौजूदा महिला उद्यमियों (18-55 वर्ष की आयु) का सर्वेक्षण किया गया।
उल्लेखनीय रूप से 58 प्रतिशत ने अपने वित्तीय व व्यावसायिक प्रबंधन कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि 12 प्रतिशत ने डिजिटल दक्षता विकसित करने की तीव्र इच्छा व्यक्त की।
टाइड इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गुरजोधपाल सिंह ने कहा, ‘‘ अधिकतर महिलाएं सूक्ष्म व लघु उद्यमों में काम करती हैं, जो न केवल शहरी केंद्रों में बल्कि उससे परे ‘विकसित भारत’ के हिस्से के रूप में समुदायों को ऊपर उठाती हैं। नारी शक्ति की भावना को मूर्त रूप देते हुए महिला उद्यमी अपनी भूमिका को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं क्योंकि वे सामाजिक तथा संस्थागत बाधाओं और लैंगिक पूर्वाग्रहों को तोड़ रही हैं।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि औपचारिक नेटवर्क, डिजिटल उपकरण और वित्तपोषण तक सीमित पहुंच जैसी बाधाएं अब भी व्यापक स्तर पर कायम हैं।
रिपोर्ट में 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें वित्तपोषण के लिए परिवार के किसी पुरुष की मदद लेनी पड़ती है जो उद्यमियों के रूप में उनकी यात्रा में एक बड़ा अवरोध उत्पन्न करता है।
इसमें सुझाव दिया गया कि डिजिटल कौशल में निवेश, सहायता कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा नेटवर्किंग व मेंटरशिप में सुधार से… सामाजिक पूर्वाग्रहों से निपटने के साथ-साथ महिला उद्यमियों को अपने लक्ष्यों को वास्तविकता में बदलने और सतत आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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