ज्यादातर तेल-तिलहन कीमतों में सुधार, मूंगफली यथावत
ज्यादातर तेल-तिलहन कीमतों में सुधार, मूंगफली यथावत
नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) विदेशों में सुधार के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में शुक्रवार को ज्यादातर तेल तिलहन के भाव मजबूत रहे। दूसरी ओर ऊंचे भाव होने की वजह से कामकाज कमजोर रहने के बीच मूंगफली तेल तिलहन पूर्ववत बंद हुए
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल सुधार का रुख है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में 3.30 बजे सुधार था और यहां शाम का कारोबार बंद है।
सूत्रों ने कहा कि किसान नीचे भाव पर सोयाबीन और सरसों की बिकवाली नहीं कर रहे हैं इसलिए कीमतों में सुधार आया। वैसे तेल तिलहनों की मांग कमजोर बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि मई, 2022 में कच्चा पामतेल (सीपीओ) का दाम 2,200 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 880 डॉलर प्रति टन रह गया है। मई 2022 में जिस सूरजमुखी तेल का दाम 2,500 डॉलर प्रति टन था वह अब घटकर 900 डॉलर प्रति टन रह गया है। यानी सीपीओ और सूरजमुखी तेल लगभग बराबर के भाव पर आ गये हैं।
ऐसे में जाड़े में जमने के गुण रखने वाले पामोलीन तेल का सूरजमुखी तेल के आगे टिकना मुश्किल है। देशी तेल अपनी ऊंची लागत की वजह से आयातित सूरजमुखी तेल के आगे वैसे भी डगमगाये हुए हैं और देशी तेल तिलहनों के खपने का तो ख्याल भी करना असंभव है।
सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन बाजार की मौजूदा व्यवस्था से तेल तिलहन कारोबार के किसी भी अंशधारकों को लाभ मिलता नहीं दीख रहा है। खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को खाद्यतेल सस्ते में उपलब्ध नहीं हो रहा है। किसानों को उनकी उपज के कम दाम दिये जा रहे हैं। देशी तेल मिलें तेल पेराई के बेपड़ता कारोबार की वजह से नुकसान उठाने के कारण तबाह हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार, खाद्यतेलों की महंगाई की चिंता को दूर करने के लिए खाद्यतेलों का वितरण राशन की दुकानों से कराये तो उक्त सारी परेशानियां निपट जायेंगी और महंगाई पर भी लगाम लगेगी। देश के लगभग सभी किसान कुछ न कुछ तिलहन उत्पादन करते हैं और जब उनकी उपज खपेगी तो उन्हें लाभ होगा और प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार को महंगाई को काबू में लाने के लिए आयात शुल्क घटाने के बजाय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये खाद्यतेल के वितरण का रास्ता अपनाना चाहिये जहां बिचौलियों के नहीं होने से सस्ते खाद्यतेल का लाभ सीधा उपभोक्ताओं को दिया जा सकता है।
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,365-5,415 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,690-6,765 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,625 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,685 -1,780 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,685 -1,785 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 7,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,300 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,125 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,925-4,975 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,755-4,795 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण

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