नई फसल की आवक से पहले मांग प्रभावित रहने से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

नई फसल की आवक से पहले मांग प्रभावित रहने से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 08:05 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 08:05 PM IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) अगले दो महीने में सरसों की नई फसल की आवक शुरु होने की उम्मीद और सरकार, किसान एवं स्टॉकिस्ट के पास सरसों का पर्याप्त भंडार होने के बीच स्थानीय बाजार में सोमवार को सरसों तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज की गई।

लागत से कम दाम पर आयातकों की बिकवाली जारी रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन, मलेशिया एक्सचेंज की गिरावट से पाम-पामोलीन तेल के दाम भी टूटे। दूसरी ओर, सुस्त कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव स्थिर बने रहे।

शिकागो एक्सचेंज में कामकाज का रुख स्थिर है तथा मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर साढ़े तीन बजे लगभग 1.25 प्रतिशत की गिरावट थी।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि इस बार सरसों की फसल ज्यादा है तथा सरकार, स्टॉकिस्ट एवं किसान के पास सरसों का पर्याप्त स्टॉक भी है। राजस्थान के कोटा जैसे स्थानों पर अगले दो महीने के भीतर सरसों की नई फसल भी मंडियों में आनी शुरु हो जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक, सरसों का दाम बढ़ाने की कोशिश में लगे सट्टेबाजों ने वास्तविकता से हटकर लोगों में यह संदेश देने की कोशिश की कि सरसों की मांग बढ़ने वाली है। लेकिन सटोरियों की उम्मीदों या प्रचार के विपरीत सरसों के दाम में भारी गिरावट देखी गई। सरसों के ऊंचे दाम के कारण इसके लिवाल कम हैं।

उन्होंने कहा, ‘इससे कुछ तेल समीक्षकों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आती दिख रही है। इन समीक्षकों को सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10 प्रतिशत अधिक दाम को लेकर चिंतित होने के बजाय सोयाबीन जैसी उन फसलों के बारे में कहीं अधिक चिंता जतानी चाहिए जो 5,328 रुपये क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले 4,100-4,300 रुपये क्विंटल के हाजिर दाम पर भी नहीं बिक पा रहा है।’

इसके ऊपर, सोयाबीन से प्राप्त होने वाले लगभग 18 प्रतिशत खाद्यतेल के मुकाबले लगभग 82 प्रतिशत की मात्रा में निकलने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) का स्थानीय बाजार नहीं होने को लेकर चिंता करनी चाहिये कि सस्ते आयातित तेल के सामने देशी तेल-तिलहन कैसे खपे और इसके लिए क्या उपाय करना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि आयातकों की लागत से नीचे दाम पर सोयाबीन डीगम तेल की बिकवाली करने से भी देश के तेल-उद्योग और किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। घाटे के इस कारोबार की भी सुध रखे जाने की जरूरत है क्योंकि यह पूरे तेल-तिलहन बाजार की कारोबारी धारणा को प्रभावित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के नरम रहने से पाम-पामोलीन तेल के दाम में भी गिरावट है। जाड़े में वैसे भी इन तेलों की मांग कम हो जाती है।

सामान्य कामकाज के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम स्थिर रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,025-7,075 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,175-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,370-2,670 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,430-2,530 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,430-2,565 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,330 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,325 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,575 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,050 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,550-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,250-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम