वेदांता के कारोबार विभाजन प्रस्ताव को मिली एनसीएलटी से मंजूरी
वेदांता के कारोबार विभाजन प्रस्ताव को मिली एनसीएलटी से मंजूरी
मुंबई, 16 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मंगलवार को वेदांता समूह के कारोबारों के विभाजन की योजना को मंजूरी दे दी। इसके बाद अब एल्युमिनियम, तेल एवं गैस, बिजली और लौह एवं इस्पात क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कंपनियां बनाई जाएंगी।
एनसीएलटी की मुंबई पीठ के न्यायाधीश चरणजीत सिंह गुलाटी और नीलेश शर्मा ने अपने फैसले में कहा, ‘कंपनी की तरफ से पेश कारोबार विभाजन योजना को मंजूरी दी जाती है।’
एनसीएलटी ने इस मामले की सुनवाई नवंबर में पूरी हो जाने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
वेदांता ने एनसीएलटी के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम समूह को स्पष्ट रणनीतिक दिशा और अलग पूंजी संरचना के साथ क्षेत्र-विशेष की कंपनियों में बदलने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है।
वेदांता के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘कंपनी अब इस योजना को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।’
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वेदांता की कारोबार विभाजन योजना का विरोध करते हुए वित्तीय जोखिम, हाइड्रोकार्बन संपत्तियों में कथित गलत प्रस्तुति और देनदारियों के अपर्याप्त खुलासे को लेकर चिंता जताई थी।
मंत्रालय ने राजस्थान के आरजे तेल एवं गैस ब्लॉक से जुड़े लंबित विवादों का हवाला देते हुए कहा था कि कंपनी ने योजना में इस ब्लॉक से जुड़ी सरकारी मांगों के तहत अपने कर्ज को पूरी तरह उजागर नहीं किया है।
इस पर वेदांता ने कहा था कि उसने सभी नियामकीय शर्तों का पालन किया है और विभाजन योजना के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी भी ले ली गई है।
अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह ने वर्ष 2023 में कारोबार विभाजन योजना की घोषणा की थी। इसके तहत वेदांता के भारतीय परिचालन को पांच अलग सूचीबद्ध कंपनियों में विभाजित किया जाएगा। इनमें वेदांता एल्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता आयरन एंड स्टील और पुनर्गठित वेदांता शामिल हैं।
मूल कंपनी हिंदुस्तान जिंक के माध्यम से जिंक और चांदी के कारोबार को बनाए रखेगी। यह नई परियोजनाओं के लिए इनक्यूबेटर के रूप में भी कार्य करेगी।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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