नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने शुक्रवार को कहा कि वित्तीय संस्थानों को मध्यम अवधि में निर्णय-आधारित ऋण देने के बजाय डेटा-आधारित ऋण देने की ओर बढ़ना चाहिए।
जोशी ने वर्ष 2047 के लिए दृष्टिकोण की रूपरेखा बताते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सभी महाद्वीपों में अपनी पहुंच रखने वाले भारत के वैश्विक बैंक अत्यधिक महत्व रखते हैं, क्योंकि ये देश में विदेशी निवेश के लिए एक माध्यम के रूप में काम करते हैं।
जोशी ने उद्योग मंडल सीआईआई के ‘वैश्विक आर्थिक मंच’ कार्यक्रम में कहा कि 2047 तक प्रति व्यक्ति जीडीपी के वैश्विक औसत को पार करने के लिए भारत को 7-7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी होगी।
उन्होंने कहा, ”मध्यम अवधि में हमें निर्णय-आधारित ऋण के बजाय डेटा-आधारित ऋण देने की ओर बढ़ना चाहिए। हमें खासकर छोटे व्यवसायों के लिए ऐसा करना होगा।”
उन्होंने कहा कि विविध निवेशकों की सक्रिय भागीदारी के साथ पूंजी बाजार को और मजबूत बनाने की जरूरत है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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