नई नीति से हाइड्रोजन की लागत 40 से 50 प्रतिशत घटेगी : आईओसी

नई नीति से हाइड्रोजन की लागत 40 से 50 प्रतिशत घटेगी : आईओसी

नई नीति से हाइड्रोजन की लागत 40 से 50 प्रतिशत घटेगी : आईओसी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:24 pm IST
Published Date: February 20, 2022 11:31 am IST

नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) कार्बन उत्सर्जन वाली इकाइयों को बदलने के लिए 2024 तक अपनी मथुरा और पानीपत रिफाइनरियों में ‘हरित हाइड्रोजन’ संयंत्र स्थापित करेगी। कंपनी का मानना है कि हालिया घोषित हरित हाइड्रोजन नीति ऊर्जा बदलाव की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पहल है और इससे लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

आईओसी के निदेशक शोध एवं विकास एस एस वी रामकुमार का कहना है कि नई नीति से हरित हाइड्रोजन के विनिर्माण की लागत में 40-50 प्रतिशत की कटौती होगी।

उन्होंने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह नीति हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए सबसे बड़ी ‘समर्थक’ साबित होगी।’’

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पेट्रोलियम रिफाइनरियां, उर्वरक संयंत्र और इस्पात इकाइयां तैयार उत्पादों के उत्पादन के लिए प्रक्रिया में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करती हैं।

रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल से अतिरिक्त सल्फर को हटाने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। मौजूदा समय में हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस या नेफ्था जैसे जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न होता है और इससे कार्बन उत्सर्जन होता है।

आईओसी ने इस ‘ग्रे हाइड्रोजन’ को ‘हरित हाइड्रोजन’ से बदलने की योजना बनाई है – जिसे ‘स्वच्छ’ हाइड्रोजन’ भी कहा जाता है। इसमें ऊर्जा का इस्तेमाल नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर या पवन से किया जाता है और पानी को इलेक्ट्रोलिसिस (विद्युत अपघटन) प्रक्रिया के जरिये दो हाइड्रोजन कणों और एक ऑक्सीजन कण में बांटा जाता है।

रामकुमार ने कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा की दो रुपये प्रति किलोवॉट (या प्रति यूनिट) की मुख्य लागत वास्तव में उत्पादन स्थल (राजस्थान या लद्दाख में सौर फार्म आदि में) की कीमत है। इसे पारेषण लाइनों के जरिये विभिन्न राज्यों में भेजे जाने पर अलग-अलग शुल्क लगते हैं। इसके बाद यह लागत चार से सात रुपये प्रति यूनिट हो जाती है।’’

उन्होंने बताया कि कारखाना गेट की लागत चार से सात रुपये प्रति यूनिट पर हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत 500 रुपये प्रति किलो आती है। वहीं मौजूदा ग्रे हाइड्रोजन में यह सिर्फ 150 रुपये प्रति किलो बैठती है।

गत 17 फरवरी को घोषित हाइड्रोजन नीति के तहत हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के खुले इस्तेमाल की छूट होगी और उसपर केंद्रीय अधिभार और अंतर-राज्य पारेषण शुल्क नहीं लगेगा। यह सुविधा 30 जून, 2025 से पहले शुरू होने वाली परियोजनाओं पर मिलेगी।

रामकुमार ने कहा कि इससे आवश्यक रूप से हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आएगी।

भाषा अजय अजय

अजय


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