तीन महीने में 20 % महंगा हुआ अखबारी कागज, प्रकाशकों की सीमा शुल्क हटाने की मांग | Newsprint, publishers demand removal of customs duties 20 percent costlier in three months

तीन महीने में 20 % महंगा हुआ अखबारी कागज, प्रकाशकों की सीमा शुल्क हटाने की मांग

तीन महीने में 20 % महंगा हुआ अखबारी कागज, प्रकाशकों की सीमा शुल्क हटाने की मांग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : January 17, 2021/11:28 am IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) कोरोना वायरस महामारी के दौरान मांग-आपूर्ति का असंतुलन पैदा होने से पिछले तीन माह में पत्र- पत्रिकाओं के प्रकाशन में इस्तेमाल होने वाले कागज (न्यूजप्रिंट) का दाम 20 प्रतिशत बढ़ गया। इसके चलते समाचार पत्र प्रकाशकों ने सरकार से न्यूजप्रिंट पर लागू पांच प्रतिशत का आयात शुल्क हटाने की मांग की है।

समाचार पत्र उद्योग का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी फैलने के पहले से ही उद्योग सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था की चुनौती का सामना कर रहा था, जबकि महामारी फैलने के बाद उस पर और बुरा प्रभाव पड़ा है। कोरोना फैलने के डर से लोगों ने इस दौरान समाचार पत्र- पत्रिकायें खरीदना बंद कर दिया। हालांकि, किसी भी चिकित्सा खोज में यह बात सामने नहीं आई है कि पत्र- पत्रिकाओं से वायरस का संक्रमण फैलता है लेकिन इसके बावजूद समाचार पत्रों की बिक्री पहले जैसी नहीं हो रही है।

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इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) के अध्यक्ष एल आदिमूलम ने कहा कि कोविड-19 महामारी से उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में ज्यादातर समाचार पत्रों ने उन ग्रामीण क्षेत्रों में अखबार भेजना बंद कर दिया है, जहां 50 से कम प्रतियां जाती हैं। वितरण की लागत घटाने के लिए समाचार पत्रों ने यह कदम उठाया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से पहले सौंपे ज्ञापन में आईएनएस ने अखबारी कागज के आयात पर सीमा शुल्क कटौती का सुझाव दिया है। ज्ञापन में कहा गया है या तो उद्योग को प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए या कम से कम प्रकाशनों को 50 प्रतिशत बढ़े शुल्क के साथ विज्ञापन जारी कर मदद दी जानी चाहिये।

ज्ञापन में कहा गया है कि यदि प्रिंट मीडिया के लिए इस समय प्रोत्साहन पैकेज लाना संभव नहीं हो, तो विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) को अपने सभी विभागों के विज्ञापन 50 प्रतिशत के बढ़े शुल्क के साथ जारी करने पर विचार करना चाहिए। इससे उद्योग को काफी मदद मिलेगी।

इसके अलावा आईएनएस ने भारत के समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) की प्रसार प्रमाणपत्र वैधता का विस्तार 31 मार्च, 2022 तक करने की मांग की है जिससे डीएवीपी की दरें अगले साल तक समान रहेंगी।

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आईएनएस ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि प्रिंट मीडिया को मौजूदा स्थिति से उबरने में दो से तीन साल लगेंगे।

आदिमूलम ने कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान कुछ उद्योगों की प्रोत्साहन पैकेज से मदद की है। ‘‘हम भी कुछ प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहे हैं।’’

महामारी के प्रभाव से उबरने के लिए समाचार पत्रों ने लागत घटाने के लिए अपने कई संस्करण बंद किए हैं। साथ ही उन्होंने अखबारों के पृष्ठ भी कम किए हैं और कर्मचारियों को भी हटाना पड़ा है।

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