नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) नीति आयोग ने विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में संरचनात्मक सुधार की वकालत की है। आयोग ने पूंजी जुटाने, बेहतर परियोजना क्रियान्वयन और टिकाऊ बुनियादी ढांचे को परिसंपत्ति वर्ग बनाने को लेकर सुधारों की बात कही है।
आयोग ने मंगलवार को ‘वैश्वक अर्थव्यवस्था के लिए हरित और सतत वृद्धि एजेंडा’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा कि हरित विकास को वित्तपोषित करने के लिए अगले दशक में 3,000 डॉलर की वैश्विक आवश्यकता है। इसीलिए सार्वजनिक और निजी दोनों माध्यमों से वित्त जुटाने की तत्काल जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) की संरचना में सुधार शामिल है।
इसमें कहा गया है कि प्रयास प्रभावी हस्तांतरण, समायोजन और प्रशिक्षण नीतियों के साथ-साथ व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में होने चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इसके साथ ही एमडीबी को परिवर्तनकारी सुधारों में शामिल होना चाहिए। इसमें बेहतर तरीकों से पूंजी जुटाना, बेहतर परियोजना क्रियान्वयन, संयुक्त वित्तपोषण, जोखिम साझा करना और टिकाऊ बुनियादी ढांचे को परिसंपत्ति वर्ग बनाना शामिल है।’’
एक नए बहुपक्षवाद के हिस्से के रूप में एमडीबी को न केवल अपनी कार्यक्षमता में सुधार करना चाहिए बल्कि विकासशील देशों में सार्वजनिक और निजी निवेश को भी बढ़ाना चाहिए। यह जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है।
इसमें कहा गया है कि भारत के शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन में परिवर्तन के संभावित सकारात्मक आर्थिक प्रभाव हैं। इसमें कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन आयात में कमी शामिल है। इससे देश के भुगतान संतुलन में सुधार हो सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में भारत अगले वैश्विक वृद्धि का इंजन के रूप में आगे बढ़ सकता है।
भाषा रमण अजय
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