नीति आयोग ने जमीन के मालिकाना हक पर आदर्श विधेयक का मसौदा मसौदा जारी किया

नीति आयोग ने जमीन के मालिकाना हक पर आदर्श विधेयक का मसौदा मसौदा जारी किया

नीति आयोग ने जमीन के मालिकाना हक पर आदर्श विधेयक का मसौदा मसौदा जारी किया
Modified Date: November 29, 2022 / 07:47 pm IST
Published Date: October 30, 2020 4:09 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) नीति आयोग ने राज्यों के लिये जमीन के मालिकाना हक के संदर्भ में एक आदर्श अधिनियम का मसौदा जारी किया है। इसका मकसद कानूनी विवादों में कमी लाना और ढांचागत परियोजनाओं के लिये जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना है।

मॉडल कानून और उससे संबित नियम राज्य सरकारों को अचल संपत्ति के मालिकाना हक के पंजीकरण की व्यवस्था स्थापित करने, उसके प्रशासन और प्रबंधन का अधिकार देगा।

मॉडल कानून के मसौदे का मकसद जमीन से संबंधित कानूनी विवादों का समाधान करना तथा ढांचागत परियोजनाओं के लिये जमीन अधिग्रहण में भी सुधार लाना है।

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इसके तहत भूमि विवाद समाधान अधिकारी तथा भू-स्वामित्व अधिकार अपीलीय न्यायाधिकरण का प्रधान है जो एक बार में सभी विवादों को समाप्त कर देंगी।

जमीन पर अंतिम रूप से मालिकाना हक की गारंटी राज्य सरकार देगी और अगर कोई विवाद होता है, क्षतिपूर्ति का प्रावधान होगा।

कानून के मसौदे के अनुसार धारा 11 के तहत मालिकाना हक के बारे में रिकार्ड को लेकर कोई व्यक्ति संतुष्ट नहीं है तो वह जमीन मालिकाना हक से संबंधित पंजीकरण अधिकारी के पास अपनी आपित्ति जता सकता है। आपत्ति अधिसूचना की तारीख से तीन साल के भीतर तक दी जा सकती है।

उसके बाद, पंजीकरण अधिकारी जरूरी कदम उठाते हुए मामले को भूमि विवाद समाधान अधिकारी के पास भेजेगा।

अगर व्यक्ति भूमि विवाद समाधान अधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह जमीन मालिकाना हक से संबंधित अपीलीय न्यायाधिकरण पास जा सकता है। वह आदेश आने के 30 दिनों के भीतर मामला दर्ज करा सकता है।

इसमें यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय की विशेष पीठ का निर्धारण किया जाएगा जो अपीलीय न्यााधिकरणों के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करेगी।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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