ऋण किस्त स्थगन अवधि के दौरान उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि, दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा: न्यायालय

ऋण किस्त स्थगन अवधि के दौरान उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि, दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा: न्यायालय

ऋण किस्त स्थगन अवधि के दौरान उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि, दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा: न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:34 pm IST
Published Date: March 23, 2021 6:33 am IST

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि छह महीने की ऋण किस्त स्थगन अवधि के लिए उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि या दंडत्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा, और यदि पहले ही कोई राशि ली जा चुकी है, तो उसे वापस जमा या समायोजित किया जाएगा।

कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पिछले साल ऋण किस्त स्थगन की घोषणा की गई थी।

शीर्ष न्यायालय ने 31 अगस्त 2020 से आगे ऋण किस्त स्थगन का विस्तार नहीं करने के केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है।

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न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय केंद्र की राजकोषीय नीति संबंधी फैसले की न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं कर सकता है, जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण और मनमाना न हो।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह पूरे देश को प्रभावित करने वाली महामारी के दौरान राहत देने के संबंध में प्राथमिकताओं को तय करने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

पीठ ने रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्रों के विभिन्न उद्योग संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर अपने फैसले में यह बात कही। इन याचिकाओं में महामारी को देखते हुए ऋण किस्त स्थगन की अवधि और अन्य राहत उपायों को बढ़ाने की मांग की गई थी।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय


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