प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति में स्वतंत्र नियामक का प्रस्ताव नहीं: अधिकारी
प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति में स्वतंत्र नियामक का प्रस्ताव नहीं: अधिकारी
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति में ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए एक स्वतंत्र नियामक स्थापित करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही।
अधिकारी ने ग्राहकों से संबंधित निजी आंकड़ों के संरक्षण के मुद्दे पर कहा कि प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति में उस क्षेत्र को समाहित नहीं किया जाएगा और ई-कॉमर्स कंपनियों को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम का पालन करना होगा।
प्रस्तावित राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति अभी विकास के अंतिम चरण में है। अब हितधारकों के विचार जानने के लिए कोई नया मसौदा नहीं जारी किया जाएगा क्योंकि मंत्रालय ने यह प्रक्रिया पूरी कर ली है।
इस अधिकारी ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कहा, ‘‘मंत्रालय को प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष प्रस्तावित नीति पर प्रस्तुति देनी है। इस क्षेत्र के लिए कोई नियामक स्थापित करने की कोई योजना नहीं है, कम-से-कम निकट भविष्य में नहीं। फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।’’
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने दो अगस्त को प्रस्तावित नीति पर ई-कॉमर्स कंपनियों एवं घरेलू कारोबारियों के संगठन के साथ विस्तृत चर्चा की थी। उस बैठक में प्रस्तावित नीति पर संबंधित हितधारकों के बीच व्यापक स्तर पर आम सहमति नजर आई थी।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति निवेशकों, विनिर्माताओं, एमएसएमई, व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, स्टार्टअप और उपभोक्ताओं जैसे सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखेगी।
सरकार इस क्षेत्र के लिए उपभोक्ता संरक्षण नियम बनाने की प्रक्रिया में भी है। इसके पीछे मकसद यह है कि नीति उपभोक्ता संरक्षण नियमों के साथ काम करे और एक-दूसरे के साथ टकराव में न हो।
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स कारोबार बढ़ने से परंपरागत व्यापार को हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए सरकार से इस बारे में राष्ट्रीय नीति का लगातार मांग की है। घरेलू व्यापारियों ने देश में ई-कॉमर्स क्षेत्र की निगरानी और विनियमन के लिए एक नियामक प्राधिकरण स्थापित करने का सुझाव दिया है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय

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