गैर-शुल्क उपायों से भारतीय निर्यात के लिए बाजार पहुंच हो रही सीमित: डीजीएफटी सारंगी

गैर-शुल्क उपायों से भारतीय निर्यात के लिए बाजार पहुंच हो रही सीमित: डीजीएफटी सारंगी

गैर-शुल्क उपायों से भारतीय निर्यात के लिए बाजार पहुंच हो रही सीमित: डीजीएफटी सारंगी
Modified Date: March 4, 2025 / 07:36 pm IST
Published Date: March 4, 2025 7:36 pm IST

नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने मंगलवार को कहा कि यूरोपीय संघ जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के कार्बन कर और वनों की कटाई विनियमन जैसे गैर-शुल्क उपायों से उन बाजारों में भारतीय वस्तुओं की बाजार पहुंच सीमित हो रही है।

सारंगी ने बजट के बाद एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय निर्यात के सामने अन्य चुनौतियों में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ पर्याप्त एकीकरण का न होना, उच्च आयात शुल्क, प्रौद्योगिकी के स्तर पर नुकसान और लॉजिस्टिक की ऊंची लागत शामिल हैं।

लॉजिस्टिक लागत विकसित देशों में पांच से छह प्रतिशत है जबकि भारत में यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग आठ से नौ प्रतिशत बैठती है।

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उन्होंने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति कटौती अधिनियम और चिप्स अधिनियम और ब्रिटेन की अत्याधुनिक विनिर्माण योजना जैसी विकसित देशों की आक्रामक औद्योगिक नीतियों के कारण निर्यात अवसर भी कम हो रहे हैं।

अधिकांश गैर-शुल्क उपाय मानव, पशु या पौधों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से देशों के बनाए गए घरेलू नियम हैं। गैर-शुल्क उपाय विनियमन, मानक, परीक्षण, प्रमाणन, निर्यात से पहले तकनीकी उपाय हो सकते हैं जबकि कोटा, आयात लाइसेंस, सब्सिडी और सरकारी खरीद प्रतिबंध जैसे गैर-तकनीकी उपाय हैं।

जब गैर-शुल्क उपाय औचित्य से परे मनमाने हो जाते हैं, तो वे व्यापार के लिए बाधाएं पैदा करते हैं और उन्हें गैर-शुल्क बाधाएं कहा जाता है।

सारंगी ने कहा कि भारत में कुल वस्तु निर्यात के प्रतिशत के रूप में निर्यात ऋण केवल 28.5 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि 2023-24 में प्रदान किया गया कुल निर्यात ऋण 124.7 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जबकि 437 अरब डॉलर के कुल वस्तु निर्यात के लिए 284 अरब डॉलर की संभवत: आवश्यकता थी।

सारंगी ने कहा, ‘‘2030 (1,000 अरब डॉलर वस्तु निर्यात लक्ष्य) के लिए कुल निर्यात ऋण आवश्यकता 650 अरब डॉलर होने का अनुमान है।’’

मौजूदा 124.7 अरब डॉलर के वित्तपोषण के स्तर पर, 2030 तक व्यापार ऋण अंतर 525 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) ने 124.7 अरब डॉलर के कुल निर्यात ऋण में से केवल 44.9 अरब डॉलर का कुल बीमा कवर प्रदान किया है।

सरकार एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने, उनके लिए वैकल्पिक वित्तपोषण उपायों को बढ़ावा देने और अन्य देशों द्वारा लगाए गए गैर-शुल्क उपायों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने को योजनाएं तैयार कर रही है।

वाणिज्य, एमएसएमई और वित्त मंत्रालय इन योजनाओं पर काम कर रहे हैं।

ये योजनाएं 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित निर्यात प्रोत्साहन मिशन के तहत तैयार की जा रही हैं। बजट में व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधान के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में ‘भारत ट्रेड नेट’ की स्थापना की भी घोषणा की गई है।

भाषा रमण अजय

अजय


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