तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख जारी
तेल-तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख जारी
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) विदेशों में सुधार के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में मंगलवार को कारोबार का मिला-जुला रुख जारी रहा। किसानों की ओर से नीचे दाम पर बिकवाली नहीं करने से सरसों और सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में सुधार है जबकि विदेशी तेलों के आगे मांग प्रभावित होने से बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई। मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत बने रहे।
शिकॉगो एक्सचेंज कल रात मजबूत बंद हुआ था और फिलहाल यहां घट-बढ़ जारी है। मलेशिया एक्सचेंज में तेजी है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कीट हमलों के कारण बिनौला फसल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है और इससे निकलने वाले खल को मवेशियों को चारे में देने से पहले खल के गुणवत्ता की जांच करवाने की आवश्यकता है। वैसे सस्ते आयातित तेलों के आगे बिनौला तेल का भाव अधिक ही बैठता है, इसके साथ बिनौला फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है जिन कारणों से इसकी मांग प्रभावित होने से इसमें गिरावट है।
उन्होंने कहा कि मूंगफली और सरसों तेल के भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं पर मांग काफी कमजोर है। इन तेलों को सस्ते आयातित तेलों से भी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। बीज, पानी, बिजली आदि लागतों को जोड़ने के बाद सस्ते आयातित तेलों के दाम से सरसों जैसे तेल का दाम काफी महंगा बैठता है। हालत यह है कि पेराई मिल वाले किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे दाम पर इनकी खरीद कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पेराई मिलों को नुकसान हो रहा है क्योंकि आयातित तेल काफी सस्ता होने से देशी सरसों और सूरजमुखी नहीं खप रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में सूरजमुखी, सरसों और बिनौला के तेल पेराई मिलों को पेराई में नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इन मिलों की हालत बद से बदतर हो रही है। सरसों के दाम एमएसपी से 10-12 प्रतिशत नीचे हैं और सूरजमुखी एमएसपी से 20-25 प्रतिशत नीचे बेचा जा रहा है। मूंगफली के दाम अधिक होने और पेराई के बाद इसका तेल बाकी तेलों से महंगा होने की वजह से मिल वालों को मूंगफली की पेराई में भी पर्याप्त नुकसान है।
सूत्रों ने कहा कि ऐसा उस देश में हो रहा है जो देश अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 55 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। अपनी आवश्यकताओं के लिए लगभग 55 प्रतिशत आयात पर निर्भर इस देश की तेल मिलें घाटे में चलें, आयातक तबाह हों, तिलहन किसान -तिलहन फसल न बिकने या वाजिब दाम नहीं मिलने का रोना रोएं, उपभोक्ता आयातित खाद्य तेलों के सस्ता होने के बावजूद यही खाद्य तेल ऊंचे दाम पर खरीदने को बाध्य हो, यह विचित्र सी स्थिति है। इस पर गौर करने की आवश्यकता है।
सूत्रों ने एक और विसंगति के बारे में कहा कि मलेशिया में पाम, पामोलीन रखने के स्थान की कमी होने के बावजूद वह अपने खाद्य तेलों के भाव ऊंचा लगाता है और हमारा देश जहां आधे से ज्यादा जरूरत के खाद्य तेल का आयात करता है, वहां बंदरगाहों पर आयातक आयात लागत से यही पाम पामोलीन तेल लगभग एक रुपये किलो नीचे भाव पर बेचें, ऐसी विसंगति क्यों हो रही है?
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,375-5,425 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,775-6,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,365-2,640 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,700 -1,795 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,700 -1,810 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,125 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 7,675 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,325 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,015-5,065 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,815-4,865 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय

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