क्विक कॉमर्स कंपनियों को ऑर्डर बीते वित्त वर्ष में दोगुना से अधिक होकर 64,000 करोड़ रुपये पर
क्विक कॉमर्स कंपनियों को ऑर्डर बीते वित्त वर्ष में दोगुना से अधिक होकर 64,000 करोड़ रुपये पर
मुंबई, 10 जुलाई (भाषा) भारतीयों ने वित्त वर्ष 2024-25 में ब्लिंकिट और इंस्टामार्ट जैसे त्वरित आपूर्ति मंचों के जरिये 64,000 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं के ऑर्डर दिए। यह आंकड़ा इससे पिछले साल के 30,000 करोड़ रुपये का दोगुना से भी अधिक है। बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
घरेलू रेटिंग एजेंसी केयरएज रेटिंग्स की एक इकाई की तरफ से जारी रिपोर्ट कहती है कि कुछ मिनट के ही भीतर रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान की आपूर्ति करने वाली क्विक कॉमर्स कंपनियों का सकल ऑर्डर मूल्य (जीओवी) वित्त वर्ष 2027-28 तक तीन गुना से भी ज्यादा होकर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, त्वरित आपूर्ति करने वाले मंचों ने पिछले वित्त वर्ष में शुल्क के तौर पर 10,500 करोड़ रुपये का जबर्दस्त राजस्व कमाया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह सिर्फ 450 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2027-28 तक शुल्क से प्राप्त राजस्व के तीन गुना होकर 34,500 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है।
केयरएज एडवाइजरी की रिपोर्ट कहती है, ‘‘यह तीव्र वृद्धि प्रमुख क्विक कॉमर्स कंपनियों की तरफ से मंच पर वसूले जाने वाले शुल्क में बढ़ोतरी के कारण हुई है। इस कारण मिलने वाले राजस्व में वृद्धि हुई है और कुल ऑर्डर मूल्य भी खासा बढ़ा है।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, त्वरित आपूर्ति मंच अब अत्यधिक वृद्धि से हटकर लाभप्रदता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके लिए विज्ञापन, ग्राहक बनाने, निजी ब्रांड की पेशकश और प्रौद्योगिकी-आधारित स्टॉक उपयोग का तरीका अपनाया जा रहा है।
यह रिपोर्ट तैयार करने वाली केयरएज एडवाइजरी की इकाई की प्रमुख तन्वी शाह ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियों का ध्यान तेजी से विस्तार करने के बजाय लाभप्रदता और परिचालन दक्षता को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार और दूसरे एवं तीसरे श्रेणी के शहरों में त्वरित आपूर्ति सेवाओं का विस्तार ही इस क्षेत्र की वृद्धि के अगले चरण को परिभाषित करेगा।
हालांकि, इस इकाई के सहायक निदेशक आमिर शेख ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियों के विस्तार के बावजूद भारत की किराना मांग का केवल एक प्रतिशत ही इन कंपनियों के हिस्से में आ सका है। ऐसे में इसकी वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय

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