पेयू ने बिलडेस्क के अधिग्रहण के 4.7 अरब डॉलर के सौदे को रद्द किया |

पेयू ने बिलडेस्क के अधिग्रहण के 4.7 अरब डॉलर के सौदे को रद्द किया

पेयू ने बिलडेस्क के अधिग्रहण के 4.7 अरब डॉलर के सौदे को रद्द किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : October 3, 2022/3:53 pm IST

नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) भुगतान सेवाप्रदाता पेयू का स्वामित्व रखने वाली वैश्विक निवेश फर्म प्रॉसस एनवी ने भारतीय भुगतान मंच बिलडेस्क के अधिग्रहण के लिए करीब 38,400 करोड़ रुपये के प्रस्तावित सौदे को रद्द कर दिया है।

प्रॉसस एनवी ने 31 अगस्त, 2021 को 4.7 अरब डॉलर में बिलडेस्क के अधिग्रहण की घोषणा की थी। भारतीय वित्तीय-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रॉसस पूरी तरह नकद भुगतान कर बिलडेस्क का अधिग्रहण करने वाली थी।

लेकिन सौदे से जुड़ी कुछ जरूरी शर्तों के पूरा नहीं हो पाने के कारण प्रॉसस ने अब इस सौदे को रद्द घोषित कर दिया है। प्रॉसस ने अपने बयान में कहा, ‘‘इस अधिग्रहण सौदे में होने वाला लेनदेन विभिन्न शर्तों के अनुपालन पर निर्भर करता था जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की मंजूरी भी शामिल थी।’’

पेयू को सीसीआई से इस सौदे से संबंधित मंजूरी पांच सितंबर को मिल गई थी लेकिन इस सौदे को संपन्न करने के लिए निर्धारित तारीख 30 सितंबर, 2022 तक कुछ अन्य शर्तें नहीं पूरी की जा सकीं।

हालांकि, प्रॉसस ने पूरा न हो पाने वाली शर्तों का ब्योरा नहीं दिया है। किसी भी अधिग्रहण सौदे के पूरा होने के लिए जरूरी है कि उसमें निर्धारित मानकों एवं पूर्व-अनुमति को पूरा किया जाए। ऐसा नहीं होने पर वह सौदा संपन्न नहीं हो पाता है।

प्रॉसस ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में यह समझौता पूर्व-निर्धारित शर्तों के मुताबिक अपने-आप ही निरस्त हो गया है। इसे ध्यान में रखते हुए अब प्रस्तावित लेनदेन लागू नहीं हो पाएगा।’’

अगर पेयू के साथ बिलडेस्क का अधिग्रहण सौदा पूरा हो गया होता, तो एक बड़ी डिजिटल भुगतान कंपनी का गठन होता जिसका कुल वार्षिक भुगतान मूल्य (टीपीवी) 147 अरब डॉलर से अधिक होता। इसके मुकाबले में भारतीय बाजार में रेजरपे और सीसीएवेन्यू ही होते जिनका टीपीवी क्रमशः 50 अरब डॉलर और 20 अरब डॉलर है।

नीदरलैंड की कंपनी प्रॉसस की बहुलांश हिस्सेदारी नैस्पर्स के पास है। प्रॉसस ने कहा कि वह भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियों में अबतक करीब छह अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है।

बिलडेस्क की स्थापना 2000 में एम एन श्रीनिवासु, अजय कौशल और कार्तिक गणपति ने की थी। इंटरनेट एवं स्मार्टफोन के विस्तार के साथ बिलडेस्क का भी कारोबार तेजी से बढ़ा है। इस सौदे के संपन्न होने की स्थिति में बिलडेस्क के हरेक संस्थापक को करीब 50 करोड़ डॉलर मिलते।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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