पीएफआरडीए का चालू वित्त वर्ष में 13 लाख व्यक्तिगत ग्राहक जोड़ने का लक्ष्यः चेयरमैन

पीएफआरडीए का चालू वित्त वर्ष में 13 लाख व्यक्तिगत ग्राहक जोड़ने का लक्ष्यः चेयरमैन

पीएफआरडीए का चालू वित्त वर्ष में 13 लाख व्यक्तिगत ग्राहक जोड़ने का लक्ष्यः चेयरमैन
Modified Date: July 8, 2023 / 04:34 pm IST
Published Date: July 8, 2023 4:34 pm IST

मुंबई, सात जुलाई (भाषा) पेंशन निकाय पीएफआरडीए के चेयरमैन दीपक मोहंती ने चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में 13 लाख व्यक्तिगत ग्राहकों के शामिल होने की उम्मीद जताई है।

मौजूदा समय में एनपीएस के ‘कॉर्पोरेट’ और ‘सभी नागरिक मॉडल’ को मिलाकर कुल 48 लाख व्यक्तिगत ग्राहक हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में यह संख्या 46 लाख से अधिक थी।

मोहंती ने कहा कि ‘कॉर्पोरेट’ खंड पर अधिक जोर दिया जाएगा जिसमें कंपनियां अपने कर्मचारियों को एनपीएस ग्राहक के रूप में पंजीकृत करती हैं।

 ⁠

इसके साथ ही मोहंती ने कहा कि डिजिटलीकरण पर अधिक ध्यान देने से नागरिक मॉडल के तहत अधिक ग्राहक जुड़ने की भी उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2022-23 में 10 लाख नए सदस्य एनपीएस में शामिल हुए थे।

मोहंती ने कहा कि जून के अंत तक एनपीएस के तहत कुल कोष 9.8 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि उन्होंने इस पर कोई दृष्टिकोण देने से मना करते हुए कहा कि यह कोष बाजार की स्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करता है।

मोहंती ने पुरानी पेंशन योजना बनाम एनपीएस को लेकर चल रही बहस पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के 85 लाख कर्मचारी इसके ग्राहक हैं।

एनपीएस के तहत ग्राहकों की कुल संख्या 1.3 करोड़ है, जबकि अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के लिए यह संख्या 5.2 करोड़ है।

मोहंती ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 में एपीवाई के तहत 1.1 करोड़ से अधिक ग्राहक जुड़े जिसके वित्त वर्ष 2022-24 में 1.3 करोड़ तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि पीएफआरडीए बाजार में गारंटीशुदा रिटर्न उत्पाद पेश करने पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ऐसा उत्पाद कब तक बाजार में आएगा लेकिन यह कहा कि ऐसा करना कानूनन अनिवार्य है।

मोहंती ने कहा कि फंड प्रबंधकों को इस तरह के उत्पाद लाने के लिए अधिक पूंजी की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग्राहकों को लागत भी वहन करनी होगी क्योंकि ऐसे उत्पाद की लागत ग्राहक को ही वहन करनी होगी।

भाषा राजेश प्रेम

प्रेम


लेखक के बारे में