तैयार, निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं में मूल्य अंतर घटकर 3- 5 प्रतिशत रह गया: रिपोर्ट | Price gap in ready, under construction housing projects reduced to 3-5 per cent: Report

तैयार, निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं में मूल्य अंतर घटकर 3- 5 प्रतिशत रह गया: रिपोर्ट

तैयार, निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं में मूल्य अंतर घटकर 3- 5 प्रतिशत रह गया: रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : April 25, 2021/11:27 am IST

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) तैयार आवासीय परियोजनाओं और निर्माणाधीन आवास परियोजनाओं के बीच फ्लैट का मूल्य अंतर कम होकर 3 से 5 प्रतिशत रह गया है जबकि चार साल पहले यह अंतर 9 से 12 प्रतिशत के बीच था।

आवासीय परियोजनाओं पर नजर रखने वाले कंपनी एनारॉक ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुये कहा है कि घर खरीदार जोखिम के विभिन्न कारणों को देखते हुये बने बनाये मकानों को अधिक तवज्जो दे रहे हैं।

एनारॉक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के सात प्रमुख शहरों में निर्माणाधीन आवासीय संपत्तियों के मुकाबले तैयार आवासीय परियोजनाओं का मूल्य 3- 5 प्रतिशत तक ऊंचा रहा है।

इसके मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तैयार परियोजनाओं में आवासीय इकाइयों का मूल्य औसतन 4,650 रुपये प्रति वर्गमीटर चल रहा है जबकि इसी क्षेत्र में निर्माणाधीन इकाइयों के लिये दाम 4,500 रुपये प्रति वर्गमीटर के दायरे में हे।

वहीं कोलकाता की यदि बात की जाये तो यहां तैयार फ्लैट का दाम 4,465 रुपये प्रति वर्गफुट है जबकि निर्माणाधीन संपत्तियों का दाम इससे चार प्रतिशत नीचे 4,300 रुपये प्रति वर्गफुट चल रहा है।

मुंबई महानगर क्षेत्र में तैयार आवासीय इकाइयों के लिये औसत दाम 10,700 रुपये प्रति वर्गुफट है जबकि निर्माणाधीन इकाइयों के लिये यह 10,350 रुपये वर्ग फुट चल रहा है।

महाराष्ट्र के ही एक अन्य शहर पुणे में तैयार अपार्टमेंट के लिये औसत मूल्य 5,650 रुपये प्रति वर्गफुट बोला जा रहा है जो कि निर्माणाधीन इकाई के लिये 5,360 रुपये वर्गफुट है। हैदराबाद में भी इस तरह के तैयार और निमार्णाधीन फ्लैट के बीच मूल्य का अंतर पांच प्रतिशत रह गया है। यही स्थिति चेन्नई और बेंगलुरु में भी है।

एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘पहले निमार्णाधीन परियोजनाओं में खरीदारी करने वालों को एक बड़ा फायदा होता था, उसे परियोजना तैयार होने तक को धैर्य और जोखिम उठाना पड़ता था उसके बदले उसे काफी कम दाम पर संपत्ति मिलती थी। लेकिन बाद में निर्माण कार्यो में देरी होने और कई परियोजनाओं के बीच में ही अटक जाने की वजह से खरीदार जोखिम उठाने को तेयार नहीं हुये और अब मांग तैयार परियोजनाओं के पक्ष में झुकी दिखाई देती है।

इसके अलावा पुरी ने कहा कि तैयार मकानों पर जीएसटी नहीं लगता है, यह इसमें एक अतिरिक्त आकर्षण हो गया है। यही वजह है कि वर्ष 2017 में तैयार और निमार्णाधीन परियोजनाओं के दाम में जो 9- 12 प्रतिशत तक का अंतर था वह जनवरी- मार्च 2021 तिमाही में कम होकर 3- 5 प्रतिशत के दायरे में आ गया।

भाषा

महाबीर अजय

अजय

 

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