सस्ते आयातित तेलों की भरमार से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव गिरे |

सस्ते आयातित तेलों की भरमार से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव गिरे

सस्ते आयातित तेलों की भरमार से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन के भाव गिरे

:   Modified Date:  May 23, 2023 / 08:32 PM IST, Published Date : May 23, 2023/8:32 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) सस्ते आयातित तेलों के आयात की भरमार की वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल की कीमतों में गिरावट दिखी। सस्ते आयात से देश के किसान बुरी तरह बेहाल हैं क्योंकि उनकी उपज की लागत अधिक बैठती है और उसका बाजार में खपना दूभर हो गया है।

बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज और शिकॉगो एक्सचेंज में मंदी का रुख है।

सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की भरमार की वजह से देश का तेल-तिलहन उठ नहीं पाएगा। किसानों की उपज जिस तरह इस बार नहीं खपी है, उससे आगे तिलहन बुवाई से किसान परहेज करने लगें तो इसमें आश्चर्य नहीं करना चाहिये। तिलहन की उपज हाल के वर्षो में इसलिए बढ़ी क्योंकि पिछले दो साल में किसानों को तिलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचे दाम मिले थे। लेकिन इस बार विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूट गये और देश में शुल्क मुक्त तेल के आयात के अलावा खाद्य तेलों के दाम कमजोर होने की वजह से मौजूदा समय में भी खाद्य तेलों का अनियंत्रित आयात जारी है। कोई अंकुश न होने से देशी तिलहन किसानों की उपज और देशी पेराई मिलों के उत्पादों का बाजार में खपना दूभर हो गया है। देशी किसान और पेराई मिलें बदहाल हैं और मौजूदा समय को किसान लंबे समय तक भुला नहीं पायेंगे।

प्रमुख तेल संगठनों ने भी अब जाकर कहना शुरु किया है कि सस्ते आयातित तेलों की भरमार होने के कारण सरसों किसानों को एमएसपी से काफी कम दाम (5,450 रुपये के एमएसपी के मुकाबले किसानों को मिलने वाला 4,700 रुपये क्विंटल का भाव) मिल रहे हैं और इसकी वजह से आने वाले दिनों में सरसों और सोयाबीन की खेती प्रभावित हो सकती है। हालांकि, इन तेल संगठनों को पहले यह आवाज उठानी चाहिये थी न कि जब किसान, पेराई मिलें बदहाल हो चुके हों। आगे इन खाद्य तेल संगठनों से उम्मीद की जाती है कि वे देश के तेल- तिलहन उद्योग, किसानों और उपभोक्ताओं के हित को सर्वोपरी रखकर सरकार को समय रहते अपनी सलाह जारी किया करेंगे।

सूत्रों ने कहा कि इतिहास में संभवत: पहली बार बिनौला तेल का भाव महाराष्ट्र के अकोला में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) से सात रुपये लीटर नीचे चला गया। अगले महीने देश के पंजाब, हरियाणा की सूरजमुखी फसल आने वाली है लेकिन कोई विशेष उपाय नहीं किये गये तो उसका भी हाल सरसों जैसा होना तय है। ऐसा, सस्ते आयातित तेलों की प्रचुरता और भारत के ‘डम्पिंग ग्राउंड’ की तरह इस्तेमाल किये जाने की वजह से हो रहा है। ऐसा इस कारण से होगा क्योंकि आयातित सूरजमुखी तेल बंदरगाह पर 77 रुपये लीटर बैठता है और देशी सूरजमुखी तेल (6,400 रुपये एमएसपी के हिसाब से) 135 रुपये लीटर पड़ेगा।

देश के नीति-निर्माताओं को यह तय करना चाहिये कि वे देश में सिर्फ सस्ता खाद्य तेलों की आपूर्ति बढ़ाना चाहते हैं या देश को तेल-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने को तरजीह देना चाहते हैं। उद्देश्य स्पष्ट रहें तो उसके हिसाब से नीतियों पर अमल करने की जरुरत है।

मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 4,875-4,975 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,450-6,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,420-2,685 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,610-1,690 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,610-1,720 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,780 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,580 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,080 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,460 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,115-5,190 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,890-4,970 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)