सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन को कोई नुकसान नहींः सीतारमण

सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन को कोई नुकसान नहींः सीतारमण

सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन को कोई नुकसान नहींः सीतारमण
Modified Date: November 4, 2025 / 08:13 pm IST
Published Date: November 4, 2025 8:13 pm IST

नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन या राष्ट्रीय हित को कोई नुकसान नहीं होगा।

सीतारमण ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स’ में आयोजित हीरक जयंती व्याख्यान समारोह में कहा कि वर्ष 1969 में किए गए बैंकों के राष्ट्रीयकरण से वित्तीय समावेशन को लेकर अपेक्षित नतीजे नहीं मिले।

सीतारमण ने कहा, ‘‘राष्ट्रीयकरण ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण देने और सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद की, लेकिन सरकारी नियंत्रण के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक गैर-पेशेवर हो गए।’’

 ⁠

उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों में राष्ट्रीयकरण के उद्देश्य पूरी तरह हासिल नहीं हुए लेकिन बैंकों को पेशेवर बनाए जाने पर वे उद्देश्य अच्छी तरह हासिल हो रहे हैं।

इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह धारणा गलत है कि जब हम बैंकों को पेशेवर बनाते हैं या उनका निजीकरण करना चाहते हैं, जो मंत्रिमंडल का एक निर्णय है, तो इससे हर व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं है।”

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के दुरुपयोग से 2012-13 में ‘दोहरी बहीखाता समस्या’ उत्पन्न हुई थी, जिसे दुरुस्त करने में छह साल लग गए। लेकिन अब भारतीय बैंक परिसंपत्ति गुणवत्ता, शुद्ध ब्याज मार्जिन और ऋण एवं जमा वृद्धि के मामले में बेहतरीन स्थिति में हैं।

सीतारमण ने कहा, ‘‘जब बैंकों को पेशेवर तरीके से और निदेशक मंडल स्तर की निर्णय प्रक्रिया के तहत काम करने दिया जाता है, तब राष्ट्रीय और बैंकिंग हित दोनों ही सुरक्षित रहते हैं।’’

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्गठन के तहत बैंकों की संख्या को घटाकर 12 कर दिया गया है जबकि 2017 में इनकी संख्या 27 थी।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय


लेखक के बारे में