नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) अरबपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल ने बृहस्पतिवार को सरकार से कहा कि कुछ कंपनियां देश के ई-वाणिज्य कारोबार नियमों को छकाने के लिये जटिल कानूनी ढांचे का इस्तेमाल कर रही हैं।
रिलायंस रिटेल ने कहा कि भारतीय कानून भंडारण पर आधारित ई-वाणिज्य मॉडल में विदेशी पूंजी निवेश की इजाजत नहीं देते हैं। इससे बच कर काम करने के लिए कुछ ई-वाणिज्य कंपनियां जटिल ढांचा अपना रही हैं।
सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय की बैठक में अमेजन ने सरकार से विदेशी ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के द्वारा विदेशी निवेश के नियमों को छकाने और छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने के लिये जटिल संरचनाएं अपनाने के आरोपों पर तब तक कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करने का आग्रह किया जब तक कि उसके व्यवहारों की जांच पूरी न हो जाये।
बैठक में, रिलायंस रिटेल के प्रतिनिधियों ने कहा कि भारतीय ई-वाणिज्य नीति के तहत भंडारण-आधारित कारोबार के लि विदेशी पूंजी की अनुमति नहीं देती है। नति में विदेशी निवेश की अनुमति केवल शुद्ध तकनीकी बुनियादी ढांचे / प्लेटफॉर्म में होती है, जो विक्रेताओं के साथ खरीदारों को मिलाने की सुविधा प्रदान करता है।
उसने कहा कि इस तरह के मंच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विक्रेताओं के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं। कुछ विदेशी कंपनियों ने कमियों का फायदा उठाने के लिये जटिल कानूनी ढांचे का इस्तेमाल किया है या नीति की रचनात्मक व्याख्या का इस्तेमाल किया है, जो नीति का उल्लंघन करती है।
रिलायंस रिटेल ने कहा कि इस तरह की कानूनी जटिलताओं में बाजार इकाई और विक्रेताओं के बीच वास्तविक संबंधों को छिपाने के लिये एक बहु-स्तरीय कंपनी संरचना बनाना शामिल है।
सूत्रों के अनुसार, रिलायंस रिटेल ने आरोप लगाया कि ये बाजार निकाय भंडार के नियंत्रण में लगी हुई हैं और उनके सबसे बड़े विक्रेता हैं।
दूसरी ओर, अमेजन के अधिकारियों ने कहा कि एफडीआई नीति में कोई भी स्पष्टीकरण बेरोजगारी, भारत की विदेशी निवेश नीति का उपहास और उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा।
उसने कहा कि उल्लंघन के किसी भी दावे या शिकायतों की जांच संबंधित एजेंसियों द्वारा की जा सकती है और इसलिये अभी स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है।
भाषा सुमन मनोहर
मनोहर
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