रेपो दर में कटौती से कर्ज की लागत कम होगी, छोटे उद्योगों को मिलेगा समर्थन: बैंक अधिकारी

रेपो दर में कटौती से कर्ज की लागत कम होगी, छोटे उद्योगों को मिलेगा समर्थन: बैंक अधिकारी

रेपो दर में कटौती से कर्ज की लागत कम होगी, छोटे उद्योगों को मिलेगा समर्थन: बैंक अधिकारी
Modified Date: December 5, 2025 / 06:49 pm IST
Published Date: December 5, 2025 6:49 pm IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर में कटौती से कर्ज की लागत कम होने, आवास मांग बढ़ने और एमएसएमई (सूक्ष्, लघु एवं मझोले उद्यम) को समर्थन मिलने की उम्मीद है। बैंक एवं वित्तीय सेवा विशेषज्ञों ने यह बात कही।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वृहद आर्थिक स्थिति और वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को शुक्रवार को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया।

इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यपाल अधिकारी (सीईओ) अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हम आरबीआई के तटस्थ रुख बनाए रखते हुए रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.25 प्रतिशत करने के निर्णय का स्वागत करते हैं। यह नीति मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर या उससे नीचे रखते हुए वृद्धि को बढ़ावा देती है। नीतिगत दर में कटौती से कर्ज लागत कम होगी, आवास एवं रियल एस्टेट में मांग बढ़ेगी, एमएसएमई को समर्थन मिलेगा तथा व्यक्तिगत व मोटर वाहन ऋण वृद्धि को बनाये रखने में मदद मिलेगी। ’’

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उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई की खुले बाजार परिचालन के तहत एक लाख करोड़ के सरकारी बॉन्ड की खरीदारी और तीन-वर्षीय अमेरिकी डॉलर/रुपये की खरीद-बिक्री अदला-बदली से नकदी को समर्थन मिलने के साथ नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने को भी बढ़ावा मिलेगा। ये उपाय घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करेंगे और वित्तीय पहुंच को बढ़ाएंगे।’’

इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ बिनोद कुमार ने कहा, ‘‘ मुद्रास्फीति में कमी और दूसरी तिमाही में मजबूत जीडीपी वृद्धि को देखते हुए सोच-विचार कर नीतिगत दर में कटौती की गई है। यह कमजोर होते रुपये के मुकाबले घरेलू मांग को और मजबूत करेगा।’’

उन्होंने कहा कि खुले बाजार परिचालन के तहत एक लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड की खरीद और डॉलर की तीन वर्षीय खरीद/बिक्री अदला-बदली से बैंकिंग प्रणाली में नकदी में और सुधार होगा। खुदरा ग्राहक और एमएसएमई अधिक किफायती ऋण की उम्मीद कर सकते हैं।

कुमार ने कहा कि इंडियन बैंक दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने को प्रतिबद्ध है।

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ त्रिभुवन अधिकारी ने कहा, ‘‘ 5.25 प्रतिशत की नई रेपो दर एक स्वागत योग्य कदम है और इससे मकान खरीदारों को और राहत मिलेगी। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत करना आने वाले वर्ष में मजबूत आय और नौकरी की संभावना के कारण आवास मांग और घर खरीदने की भावना के लिए सकारात्मक है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें आगामी तिमाहियों में किफायती एवं मध्यम श्रेणी के आवास में सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ता धारणा में समग्र रूप से अच्छी वृद्धि होगी।’’

एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के संस्थापक, एमडी एवं सीईओ संजय अग्रवाल ने कहा, ‘‘2025-26 की दूसरी छमाही में देश की वृद्धि संभावनाओं पर बाहरी अनिश्चितताओं के प्रभाव की आशंका को देखते हुए रेपो दर में कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय वृद्धि के लिए सक्रिय कदम है। दर कटौती वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने हेतु जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने, कर छूट, श्रम संहिताओं की अधिसूचना आदि जैसी सरकार के हाल में उठाए गए कदमों का पूरक होगा।’’

एसबीएम बैंक (इंडिया) लिमिटेड के प्रमुख (वित्तीय बाजार) मंदार पिटाले ने कहा, ‘‘वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता तथा कुछ प्रमुख संकेतकों (विनिर्माण पीएमआई, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) में कमजोरी के उभरते संकेतों ने वृद्धि की गति को समर्थन देने के लिए नीतिगत गुंजाइश बनायी है।’’

यूनियन एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में ‘फिक्स्ड इनकम’ के प्रमुख पारिजात अग्रवाल ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में कटौती के साथ-साथ टिकाऊ नकदी के उपाय भी किए हैं जो समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए अच्छे संकेत हैं। कम मुद्रास्फीति के आंकड़े एमपीसी को वृद्धि-समर्थक उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की गुंजाइश प्रदान करते हैं।’’

भाषा निहारिका रमण

रमण


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