सब्जियों, खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में नरम पड़कर 5.59 प्रतिशत रही

सब्जियों, खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में नरम पड़कर 5.59 प्रतिशत रही

सब्जियों, खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में नरम पड़कर 5.59 प्रतिशत रही
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: August 12, 2021 9:48 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) सब्जी समेत खाद्य वस्तुओं की कीमतें कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई महीने में नरम पड़कर 5.59 प्रतिशत रही। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी।

इससे पहले, मई और जून 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के ऊपर रही थी।

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मुद्रास्फीति का जुलाई का आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है। आरबीआई को 2 प्रतिशत ऊपर-नीचे के दायरे के साथ

मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी गयी है।

सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति एक महीना पहले जून में 6.26 प्रतिशत थी जबकि एक साल पहले जुलाई में यह 6.73 प्रतिशत थी।

आलोच्य महीने में सब्जियों की कीमत में तेजी से कमी आयी और इस खंड में महंगाई 7.75 प्रतिशत घट गई। इससे पिछले महीने यह 0.7 प्रतिशत घटी थी।

दलहन और उत्पादों में मूल्य वृद्धि की दर जुलाई में 9.04 प्रतिशत रही जो जून माह में 10.01 प्रतिशत थी।

हालांकि, प्रोटीन युक्त मांस, मछली, अंडा और दूध की महंगाई दर ऊंची रही।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार तेल एवं वसा खंड में कीमत वृद्धि की दर इस साल जुलाई में नरम पड़कर 32.53 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व माह में करीब 35 प्रतिशत थी।

ईंधन और प्रकाश खंड में मुद्रास्फीति थोड़ी नरम पड़कर 12.38 प्रतिशत रही।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि ऐसा लगता है कि आपूर्ति व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये सरकार ने जो कदम उठाये, उससे तेल एवं वसा के साथ दलहन की महंगाई दर नरम पड़ी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि एक बार घरेलू मांग मजबूत होने और मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने के साथ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीति को सामान्य रास्ते पर लाने के लिये पहल करेगी।’’

नायर के अनुसार, ‘‘अगले साल फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति रुख को नरम से तटस्थ कर सकता है। उसके बाद अप्रैल 2022 और जून 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है।’’

इस महीने की शुरूआत में रिजर्व बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, ‘‘उम्मीद से कम मुद्रास्फीति का मुख्य कारण पूरी तरह से खाद्य मुद्रास्फीति है, जो पिछले महीने तीन महीने के निचले स्तर 3.9 प्रतिशत पर आ गई। जबकि इससे पहले, पिछले दो महीनों में यह 5 प्रतिशत थी।’’

रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में जारी मौद्रक नीति समीक्षा में 2021-22 में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। आरबीआई के अनुसार मुदास्फीति में घट-बढ़ के जोखिम के साथ दूसरी तिमाही में इसके 5.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का संभावना है। अगले वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में इसके 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर


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