स्टील के दाम बढ़ने से घरेलू मांग पर असर नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार से कीमत अब भी कम: टाटा स्टील

स्टील के दाम बढ़ने से घरेलू मांग पर असर नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार से कीमत अब भी कम: टाटा स्टील

स्टील के दाम बढ़ने से घरेलू मांग पर असर नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार से कीमत अब भी कम: टाटा स्टील
Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 pm IST
Published Date: May 16, 2021 8:35 am IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) टाटा स्टील के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा है कि इस्पात के दाम में वृद्धि से घरेलू बाजार में मांग पर असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों की तुलना में निश्चित रूप से स्टील के दाम बढ़े हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले दर अभी भी कम हैं।

स्टील का उपयोग निर्माण, वाहन, उपभोक्ता सामान आदि क्षेत्रों में होता है। ऐसे में दाम बढ़ने पर इन क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है।

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नरेंद्रन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों के मुकाबले निश्चित रूप से दाम तेज है लेकिन दुनिया के अन्य देशों की तुलना में यह अभी भी कम है। मुझे नहीं लगता कि इससे मांग पर असर पड़ना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या स्टील के दाम में वृद्धि का असर देश के ग्राहकों की मांग पर पड़ेगा, उन्होंने उक्त बात कही।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में अगर ‘हॉट रोल्ड कॉयल’ (फ्लैट स्टील उत्पाद) के दाम अमेरिका में 1,500 डॉलर प्रति टन, यूरोप में 1,000 यूरो प्रति टन है। ‘‘अत: मुझे लगता है कि भारत में इस्पात उपयोगकर्ताओं के लिये दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर मूल्य उपलब्ध है।’’

टाटा स्टील के सीईओ ने कहा कि इस्पात के अधिक उपयोग वाले उत्पादों के निर्यातक बेहतर स्थिति में है क्योंकि भारत में जो दाम है, वह उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी होने का मौका देता है।

भारत में स्टील के दाम इस सबसे उच्चतम स्तर पर हैं। मई 2021 में स्टील बनाने वाली कंपनियों ने हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) के दाम 4,000 रुपये बढ़ाकर 67,000 रुपये प्रति टन कर दिये। जबकि कोल्ड रोल्ड कॉयल (सीआरसी ) की कीमत 4,500 रुपये बढ़ाकर 80,000 रुपये प्रति टन कर दी गयी है।

एचआरसी और सीआरसी दोनों स्टील की चादरें हैं। इनका उपयोग वाहन, उपकरण और निर्माण क्षेत्रों में होता है।

बहरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि स्टील के दाम बढ़ने से वाहन, उपभोक्ता सामान और निर्माण लागत पर असर पड़ेगा क्योंकि इन क्षेत्रों में कच्चे माल के रूप में इस्पात का उपयोग होता है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


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