कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए बजट में 1050 करोड़ रुपये

कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए बजट में 1050 करोड़ रुपये

कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिए बजट में 1050 करोड़ रुपये
Modified Date: November 29, 2022 / 08:10 pm IST
Published Date: February 8, 2021 2:16 pm IST

नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) कृषि कार्यों में मशीनों का उपयोग प्रोत्साहित करने के लिए लागू उप-मिशन योजना (एसएमएएम) के लिए वर्ष 2021-22 में के बजट में 1050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

कृषि मंत्रालय की सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि खेती-बाड़ी में मशीनीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि काम की दक्षता और प्रभावोत्‍पादकता सुधारती तथा उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। इससे कृषि कार्य में मेहनत कम लगती है।

विज्ञप्ति के अनुसार राज्यों और अन्य कार्यान्वयन संस्थानों को इस योजना के तहत 2014-15 से 2020-21 के दौरान, 4556.93 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। अब तक, 13 लाख से अधिक कृषि मशीनों का वितरण किया जा चुका है और 27.5 हजार से अधिक कस्टम हायरिंग संस्थान स्थापित किए गए हैं।

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मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2021-22 में एसएमएएम के लिए 1050 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।

केंद्र ने यह मिशन योजना 2014-15 में शुरू की थी।इस योजना का उद्देश्य कस्टम हायरिंग सेंटर्स (सीएचसी) की स्थापना के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों (एसएमई) के लिए कृषि मशीनों को सुलभ और सस्ती बनाकर, हाई-टेक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरण और फार्म मशीनरी बैंकों के लिए केन्‍द्र बनाकर उन लोगों तक पहुंचाना है जिनकी ‘पहुंच से अब तक यह बाहर’ है। कस्टम हायरिंग संस्था एसएमएफ को मशीनों का विकल्प किराए पर देने का प्रावधान करती है।

मशीन के परिचालन और किसानों और युवाओं तथा अन्‍य के कौशल विकास प्रदर्शन के माध्यम से हितधारकों में जागरूकता पैदा करना भी एसएमएएम के घटक हैं। सरकार के अनुसार खेती के लिए बिजली की उपलब्धता 2016-17 में 2.02 किलोवाट/ हेक्टेयर से बढ़कर 2018-19 में 2.49 किलोवाट/ हेक्‍टेयरहो गई।

भाषा मनोहर

मनोहर


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