न्यायालय ने सुपरटेक के रुके हुए घर बनाने के मामले में एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाई
न्यायालय ने सुपरटेक के रुके हुए घर बनाने के मामले में एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाई
नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्ज में डूबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की 16 आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी।
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने अपने आदेश में लगभग 9,500 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किया था।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ दो अपीलों पर सुनवाई की।
पीठ ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए और एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी।
न्यायालय ने कहा कि वह जांच करेगी कि एनसीएलएटी ने आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन सलाहकार बनाते समय क्या दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता की प्रक्रिया का पालन किया या नहीं।
एनसीएलएटी ने 12 दिसंबर, 2024 को एनबीसीसी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में 49,748 घरों वाली 16 आवास परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी दी थी।
इन परियोजनाओं में लगभग 27,000 घर खरीदार घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
सुपरटेक समूह के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने एक बयान में कहा, ”हम एनसीएलएटी के उस आदेश पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, जिसमें एनबीसीसी को भूमि प्राधिकरणों और ऋणदाताओं जैसे अन्य पक्षों के हितों का सम्मान किए बिना मनमाने ढंग से सुपरटेक की परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने की अनुमति दी गई थी।”
उन्होंने कहा, ”प्रवर्तक के तौर पर हम घर खरीदने वालों, बैंकरों और भूमि प्राधिकरणों सहित सभी हितधारकों के लिए एक समाधान चाहते हैं।”
भाषा पाण्डेय रमण
रमण

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