सेबी गैर-कृषि जिंस डेरिवेटिव में बैंक, बीमा कंपनी, पेंशन कोष को निवेश की मंजूरी के पक्ष मेंः चेयरमैन
सेबी गैर-कृषि जिंस डेरिवेटिव में बैंक, बीमा कंपनी, पेंशन कोष को निवेश की मंजूरी के पक्ष मेंः चेयरमैन
(तस्वीरों के साथ)
मुंबई, 17 सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन कोषों को गैर-कृषि जिंस वायदा बाजारों में निवेश की अनुमति देने को लेकर सरकार से बातचीत की जाएगी।
पांडेय ने कहा कि सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भी गैर-नकद निपटान वाले, गैर-कृषि जिंस वायदा अनुबंधों में कारोबार की अनुमति देने पर विचार कर रहा है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख ने मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम सरकार से भी बातचीत करेंगे ताकि बैंक, बीमा कंपनियां और पेंशन कोष इन (गैर-नकदी, गैर-कृषि) बाजारों में कारोबार कर सकें।’’
उन्होंने बताया कि सेबी इस साल दिसंबर तक विशिष्ट जिंस में सक्रिय ब्रोकरों को अनुपालन रिपोर्टिंग के सामान्य ढांचे में शामिल कर लेगा।
पांडेय ने कहा कि जिंस वायदा बाजार अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम भूमिका निभाते हैं और भारत वैश्विक स्तर पर ‘दाम तय करने वाला’ देश बनना चाहता है, न कि सिर्फ ‘दाम स्वीकार करने वाला’।
उन्होंने मौजूदा वैश्विक अनिश्चितता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हमें यह देखना होगा कि भारतीय मानकों की स्वीकार्यता देश और विदेश दोनों जगह किस तरह बढ़ाई जाए।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा एल्युमीनियम एवं तांबे के आयात पर शुल्क दोगुना करने जैसे हालात भारत के निर्यात पर सीधा असर डालते हैं।
सेबी प्रमुख ने कहा, ‘‘ऐसे अस्थिर माहौल में एक मजबूत वायदा बाजार भारतीय उत्पादकों और उपभोक्ताओं को वैश्विक मूल्य झटकों से बचाने का सुरक्षा कवच देता है।’’
पांडेय ने लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और दुर्लभ खनिज तत्वों जैसे अहम खनिजों का जिक्र करते हुए कहा कि हरित ऊर्जा की दिशा में इनकी अहमियत बढ़ रही है और भारत के लिए सवाल है कि क्या ऐसे वित्तीय साधन विकसित किए जा सकते हैं जो इन संसाधनों की खोज और खनन को वित्तपोषित और जोखिममुक्त कर सकें।
उन्होंने कहा कि वास्तविक समय पर मार्जिन संग्रह और लगातार निगरानी ऐसी अनिवार्य शर्तें हैं, जिन पर नियामक कोई भी समझौता नहीं करेगा।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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