सेबी सरकारी बॉन्ड में निवेश करने वाले एफपीआई के लिए नियम आसान बनाएगा

सेबी सरकारी बॉन्ड में निवेश करने वाले एफपीआई के लिए नियम आसान बनाएगा

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  • Publish Date - June 18, 2025 / 08:45 PM IST,
    Updated On - June 18, 2025 / 08:45 PM IST

नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए नियमों को सरल बनाने एवं नियामकीय अनुपालन को सुगम बनाने का फैसला किया जो खास तौर पर भारत सरकार के बॉन्ड (जी-सेक) में निवेश करते हैं।

सेबी के इस कदम का उद्देश्य भारत में अधिक दीर्घकालिक बॉन्ड निवेशकों को आकर्षित करना है।

फिलहाल विदेशी निवेशक तीन मार्गों- सामान्य, स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) और पूर्ण सुलभ मार्ग (एफएआर) के जरिये भारतीय ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इनमें से वीआरआर और एफएआर अधिक बंदिशों के बगैर निवेश की अनुमति देते हैं।

सेबी ने बयान में कहा, ‘‘जोखिम आधारित दृष्टिकोण और अनुकूलतम नियमन के जरिये कारोबारी सुगमता बढ़ाने के इरादे से निदेशक मंडल ने सभी ऐसे मौजूदा एवं संभावित एफपीआई के लिए कुछ नियामकीय प्रावधानों को नरम करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जो खासकर सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इन उपायों से सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई के निवेश को सुविधाजनक बनाने में और मदद मिलने की उम्मीद है।’’

बाजार नियामक का यह कदम वीआरआर एवं एफएआर जैसे निवेश मार्गों से देश के ऋण बाजार में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए आया है।

सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले एफपीआई के लिए स्वीकृत छूट के तहत, ऐसे एफपीआई के लिए अनिवार्य केवाईसी समीक्षा की अवधि को आरबीआई के प्रावधानों के अनुरूप बनाया जाएगा। ऐसा होने पर ऐसे विदेशी निवेशकों की अनिवार्य केवाईसी समीक्षा कम बार होगी।

इसके अलावा एफएआर के तहत भारत सरकार के बॉन्ड में निवेश करने वाले मौजूदा एवं संभावित एफपीआई को निवेशक समूह का विवरण देने की भी जरूरत नहीं होगी।

सेबी ने कहा, ‘‘अनिवासी भारतीयों, भारत के विदेशी नागरिकों और निवासी भारतीयों को अन्य एफपीआई के लिए लागू प्रतिबंधों के बगैर जीएस-एफपीआई का हिस्सा होने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, उदारीकृत धनप्रेषण योजना और 50 प्रतिशत से कम भारतीय निवेश वाले वैश्विक कोषों के संबंध में शर्तें लागू रहेंगी।’’

इसके साथ ही नियामक ने आईजीबी-एफपीआई के लिए सभी भौतिक बदलावों की सूचना देने के लिए एकसमान 30-दिवसीय अवधि तय की है। फिलहाल एफपीआई को सात से लेकर 30 दिन के भीतर प्रमुख बदलावों की सूचना देना होता है।

दुनिया के प्रमुख वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों- जेपी मॉर्गन, ब्लूमबर्ग और एफटीएसई में भारत के शामिल होने से अधिक विदेशी निवेश आने की उम्मीद है।

सेबी के आंकड़ों के अनुसार, एफएआर-योग्य बॉन्ड में एफपीआई निवेश मार्च, 2025 तक तीन लाख करोड़ रुपये (35.7 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक हो गया।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय