डीटीएच सेवाओं पर लगाया जा सकता है सेवा और मनोरंजन करः उच्चतम न्यायालय

डीटीएच सेवाओं पर लगाया जा सकता है सेवा और मनोरंजन करः उच्चतम न्यायालय

डीटीएच सेवाओं पर लगाया जा सकता है सेवा और मनोरंजन करः उच्चतम न्यायालय
Modified Date: May 22, 2025 / 10:05 pm IST
Published Date: May 22, 2025 10:05 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपने एक फैसले में कहा कि राज्य विधानसभाएं और संसद उपभोक्ताओं को दी जाने वाली डीटीएच सेवाओं पर क्रमशः मनोरंजन कर और सेवा कर लगा सकती हैं।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि प्रसारण एक सेवा है और संसद संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 62 के तहत मनोरंजन की गतिविधि पर सेवा कर लगा सकती है।

यह प्रविष्टि विलासिता पर करों से संबंधित है जिसमें मनोरंजन, मौज-मस्ती, सट्टेबाजी और जुए पर कर शामिल हैं।

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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब प्रसारणकर्ता दर्शकों के टीवी सेट पर किसी प्रदर्शन, फिल्म या किसी कार्यक्रम की तात्कालिक प्रस्तुति के लिए सिग्नल प्रसारित करता है, तभी दर्शकों का मनोरंजन हो सकता है।

पीठ ने कहा, ‘इस तरह इस गतिविधि में दो पहलू शामिल हैं- ग्राहकों को सामग्री के सिग्नल को प्रसारित करना। यहां दूसरा पहलू न केवल सिग्नल की सामग्री बल्कि सेट-टॉप बॉक्स और उसके भीतर मौजूद व्यूइंग कार्ड द्वारा सिग्नल को सामग्री के रूप में परिवर्तित करने से संबंधित है।’

न्यायालय ने कहा कि सिग्नल को सामग्री के रूप में बदलने वाला उपकरण न दिए जाने पर ग्राहक प्रेषित सामग्री को नहीं देख पाएगा। इस तरह डीटीएच प्रणाली के जरिये मुहैया कराया जाने वाला टीवी मनोरंजन दूसरी सूची की प्रविष्टि 62 के अर्थ में एक विलासिता है।

फैसले के मुताबिक, मनोरंजन देने में लगे डीटीएच संचालक वित्त अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के तहत प्रसारण की गतिविधि पर सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होने के साथ मनोरंजन कर का भुगतान करने के लिए भी उत्तरदायी थे।

यह फैसला उच्च न्यायालयों के आदेशों के खिलाफ दायर अपीलों के एक समूह पर आया है। इन आदेशों में कहा गया था कि मनोरंजन कर लगाना असंवैधानिक है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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