कच्चे जूट की कमी से रबी फसलों की पैकेजिंग का काम प्रभावित हो सकती है

कच्चे जूट की कमी से रबी फसलों की पैकेजिंग का काम प्रभावित हो सकती है

कच्चे जूट की कमी से रबी फसलों की पैकेजिंग का काम प्रभावित  हो सकती है
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: December 22, 2020 2:52 pm IST

कोलकाता, 22 दिसंबर (भाषा) जूट मिलों को कच्चे जूट की आपूर्ति में लगातार व्यवधान के कारण, बारदाना बनाने वाली मिलों का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे रबी फसलों को रखने के लिए जूट की बोरियों की कमी पड़ सकती है।

उद्योग के सूत्रों ने मंगलवार को यहां एक अनुमान के आधार पर कहा कि जमाखेरी के चलते 20 लाख गांठ जूट बाजार में नहीं आ रही है जबकि जूट मिलों को उनकी जरूरत का 50 प्रतिशत माल ही मिल रहा है।

जूट मिल मालिकों के एक वर्ग का दावा है कुछ इकाइयों ने परिचालन बंद कर दिया है क्योंकि उन्हें उचित मूल्य पर पर्याप्त कच्चा माल नहीं मिल सका।

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कच्चे जूट की जमाखोरी को रोकने के लिए, जूट उद्योग नियामक जूट आयुक्त ने 17 नवंबर से स्टॉकिस्टों को 500 क्विंटल से अधिक कच्चे जूट नहीं रखने का आदेश है। यह आदेश ऐसे समय आया है जब कच्चे जूट की कीमत 6,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हो गई है और इससे बोरियों का निर्माण प्रभावित हुआ है।

हालांकि, व्यापारियों ने कच्चे जूट स्टॉक सीमा आदेश को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

हाल ही में, जूट नियामक को अदालत ने स्टॉक सीमा के अनुपालन के अधिक समय देने पर विचार करने को कहा है।अदालत ने हालांकि कहा कि जूट आयुक्त कार्यालय, समयसीमा विस्तार की अवधि समाप्त होने के बाद कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा।

सोमवार को समूह के मंत्रियों की एक बैठक के दौरान, पश्चिम बंगाल सरकार ने संकेत दिया कि यदि आपूर्ति को सुव्यवस्थित नहीं किया जाता है, तो व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

बैठक की अध्यक्षता राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने की।

राज्य कृषि विभाग के विश्लेषण के आधार पर, सरकार संभवत: इस महीने के अंत तक आयोजित होने वाली अगली बैठक में कच्चे जूट के लिए उचित मूल्य तय करेगी।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर


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