नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) देश में सौर क्षमता स्थापित किये जाने के मामले में 44 प्रतिशत की कमी आई है और यह 2023 में 7,500 मेगावाट रही। मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों के कारण सौर क्षमता स्थापित करने में कमी आई है।
अमेरिकी शोध कंपनी मेरकॉम कैपिटल की ताजा रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को कहा गया है कि देश में 2022 में 13,400 मेगावाट सौर क्षमता स्थापित की गयी थी।
दिसंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार, देश में स्थापित सौर क्षमता 72,000 मेगावाट रही। इसमें ग्रिड से जुड़ी परियोजनाओं का योगदान 85.4 प्रतिशत रहा जबकि छतों पर लगने वाली सौर परियोजनाओं का योगदान 14.6 प्रतिशत रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बीते वर्ष बड़े स्तर की सौर क्षमता 51 प्रतिशत घटकर 5,800 मेगावाट रही जबकि 2022 में यह 11,700 मेगावाट थी। कई बड़े पैमाने की परियोजनाओं को दिए गए विस्तार और मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण और पारेषण मुद्दों के कारण देरी से क्षमता वृद्धि प्रभावित हुई। सालाना आधार पर सौर क्षमता में वृद्धि में बड़े पैमाने की सौर ऊर्जा क्षमता का योगदान 77.2 प्रतिशत है। जबकि छतों पर लगने वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं का योगदान 22.8 प्रतिशत है।’’
बड़े आकार की सौर क्षमता के मामले में राजस्थान के बाद कर्नाटक, और गुजरात शीर्ष तीन राज्य रहे। कुल स्थापित क्षमता में दिसंबर, 2023 तक इनका योगदान 54.8 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बड़े स्तर पर सौर परियोजना पाइपलाइन 1,05,300 मेगावाट थी। इसके अलावा 70,600 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं निविदा और नीलामी के स्तर पर थीं।
दिसंबर, 2023 के अंत में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं सहित देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 1,79,500 मेगावाट थी, जो कुल बिजली क्षमता का 42 प्रतिशत है।
देश में पिछले साल स्थापित कुल बिजली क्षमता में सौर ऊर्जा परियोजनाओं का योगदान 48.5 प्रतिशत है।
भाषा रमण अजय
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