इस्पात मंत्रालय के कच्चे माल के लिए गुणवत्ता आदेश से एमएसएमई पर पड़ेगा गंभीर असर: जीटीआरआई

इस्पात मंत्रालय के कच्चे माल के लिए गुणवत्ता आदेश से एमएसएमई पर पड़ेगा गंभीर असर: जीटीआरआई

इस्पात मंत्रालय के कच्चे माल के लिए गुणवत्ता आदेश से एमएसएमई पर पड़ेगा गंभीर असर: जीटीआरआई
Modified Date: August 12, 2025 / 06:52 pm IST
Published Date: August 12, 2025 6:52 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) शोध संस्थान जीटीआरआई ने दावा किया है कि इस्पात मंत्रालय के तैयार इस्पात उत्पादों और उनमें इस्तेमाल होने वाले सभी कच्चे माल के लिए बीआईएस प्रमाणन अनिवार्य करने के आदेश से आयात प्रभावित हुआ है और मोटर वाहन जैसे क्षेत्रों में हजारों सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने मंगलवार को कहा कि इसके कारण अनुबंध रद्द हो गए हैं और कच्चे माले की लागत बढ़ गई है।

मंत्रालय ने 13 जून को आदेश दिया था कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन में न केवल तैयार इस्पात उत्पाद, बल्कि बीआईएस-प्रमाणित वस्तुओं में इस्तेमाल होने वाले सभी कच्चे माल भी शामिल होने चाहिए।

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जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ इस कदम से आयात रुक गया जिससे मोटर वाहन के कल-पुर्जों के विनिर्माण, पूंजीगत वस्तुओं से जुड़े एमएसएमई प्रभावित हुए। इनके अनुबंध रद्द हो गए और उत्पादन लागत बढ़ गई है।’’

उन्होंने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय ने शुरू में अंतरिम रोक लगा दी थी लेकिन 30 जुलाई 2025 को उच्चतम न्यायालय ने उस आदेश को रद्द कर दिया और मामले पर पूरी सुनवाई के लिए वापस भेज दिया।

श्रीवास्तव ने कहा कि मंत्रालय ने चिकित्सकीय उपकरण क्षेत्र को कुछ स्टेनलेस स्टील ग्रेड के लिए एक साल की छूट दी जिससे एमएसएमई ने भी इसी राहत की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत अपने उत्पादन से अधिक स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल करता है। इससे मोटर वाहन, विनिर्माण जैसे उद्योग आयातित स्टेनलेस स्टील पर निर्भर रहने के लिए मजबूर हैं।’’

श्रीवास्तव ने कहा कि एमएसएमई के लिए इसका असर तत्काल और गंभीर रहा है। आयातित खेप बंदरगाहों पर अटकी हुई हैं, विलंब शुल्क बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय खरीदार अनुबंध रद्द कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में वाहनों के कल-पुर्जों का विनिर्माण, स्टेनलेस स्टील के बर्तन, ट्यूब और फास्टनर शामिल हैं।’’

श्रीवास्तव कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ या जापान जैसे प्रमुख इस्पात उत्पादक देशों में अंतिम उत्पाद के गुणवत्ता मानकों को पूरा करने पर कच्चे माल के लिए अलग से राष्ट्रीय प्रमाणीकरण की अनिवार्यता नहीं होती।

भाषा निहारिका रमण

रमण


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