होर्मुज जलडमरूमध्य संकट: कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत की स्थिति अच्छी, गैस को लेकर कोई चिंता नहीं

होर्मुज जलडमरूमध्य संकट: कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत की स्थिति अच्छी, गैस को लेकर कोई चिंता नहीं

होर्मुज जलडमरूमध्य संकट:  कच्चे तेल के मोर्चे पर भारत की स्थिति अच्छी, गैस को लेकर कोई चिंता नहीं
Modified Date: June 22, 2025 / 02:40 pm IST
Published Date: June 22, 2025 2:40 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) ईरान के तीन मुख्य परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमलों ने एक बार फिर इस बात को लेकर चिंता बढ़ा दी है कि तेहरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है।

भारत के कुल तेल आयात का बड़ा हिस्सा इसी जलडमरूमध्य से होकर आता है।

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हालांकि, उद्योग के अधिकारियों और विश्लेषकों ने कहा कि रूस से लेकर अमेरिका और ब्राजील तक, वैकल्पिक स्रोत किसी भी कमी को पूरा करने के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। रूसी तेल को होर्मुज जलडमरूमध्य से अलग रखा गया है, जो स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर से होकर आता है।

दूसरी तरफ अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और लातिनी अमेरिका से भी तेल मंगाया जा सकता है, हालांकि यह थोड़ा महंगा होगा।

कतर, भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और वह होर्मुज जलडमरूमध्य का उपयोग नहीं करता है। ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका में भारत के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के अन्य स्रोत पर भी कोई असर नहीं होगा।

विश्लेषकों ने कहा कि पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने का असर निकट अवधि में कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा और कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।

भारत अपनी 90 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है और अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग आधा हिस्सा विदेश से खरीदता है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा है कि जलडमरूमध्य के माध्यम से प्रवाह में किसी भी व्यवधान का विश्व तेल बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

भाषा अजय पाण्डेय

अजय


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