नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को संकट में फंसी एयरलाइन गो फर्स्ट के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पट्टेदारों को अपने विमानों का निरीक्षण करने और रखरखाव करने की अनुमति दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि चूंकि दिल्ली उच्च न्यायालय इस मामले को देख रहा है और दैनिक आधार पर इसकी सुनवाई कर रहा है, इसलिए इस स्तर पर शीर्ष अदालत इस याचिका पर विचार नहीं करेगी।
आईआरपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि अगर पट्टेदारों को विमान और इंजन के संबंध में पट्टा समझौता रद्द करने की अनुमति दी गई, तो कंपनी को फिर से चालू करने के प्रयास प्रभावित होंगे।
उन्होंने इस मामले में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दा भी उठाया।
इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘हम इसपर विचार नहीं करेंगे। चूंकि कार्यवाही दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जहां याचिका पर दैनिक आधार पर बहस हो रही है। हम मौजूदा स्तर पर इसपर विचार नहीं कर रहे हैं। क्षेत्राधिकार के मुद्दों को भी एकल न्यायाधीश (उच्च न्यायालय) के समक्ष उठाना चाहिए।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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