प्राधिकरण अड़ंगा लगाएं, तो आम्रपाली परियोजनाओं का प्रबंधन उप्र सरकार को सौंप दे न्यायालयः रिसीवर |

प्राधिकरण अड़ंगा लगाएं, तो आम्रपाली परियोजनाओं का प्रबंधन उप्र सरकार को सौंप दे न्यायालयः रिसीवर

प्राधिकरण अड़ंगा लगाएं, तो आम्रपाली परियोजनाओं का प्रबंधन उप्र सरकार को सौंप दे न्यायालयः रिसीवर

:   Modified Date:  December 2, 2022 / 07:41 PM IST, Published Date : December 2, 2022/7:41 pm IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) आम्रपाली समूह की आवासीय परियोजनाओं के लिए अदालत की तरफ से नियुक्त रिसीवर आर वेंकटरमनी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों पर वित्त जुटाने में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया।

अटॉर्नी जनरल वेंकटरमनी ने कहा कि अगर आम्रपाली की अटकी परियोजनाओं के लिए धन जुटाने में अड़ंगा डालने का विकास प्राधिकरणों का रवैया आगे भी कायम रहता है तो फिर संकटग्रस्त कंपनी का प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया जाना चाहिए।

वेंकटरमनी ने न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष कहा, ‘‘कोर्ट रिसीवर और अटॉर्नी जनरल के तौर पर मैं अटकी परियोजनाएं पूरी करने के लिए वित्त जुटाने की पूरी कोशिश कर रहा हूं लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों का कहना है कि अप्रयुक्त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) नहीं बेचा जाना चाहिए।’’

एफएआर किसी इमारत के कुल फ्लोर क्षेत्रफल और उस इमारत के भूखंड के आकार का अनुपात होता है। यह अनुपात अलग-अलग शहरों एवं नगर निगमों के हिसाब से अलग-अलग होता है।

वेंकटरमनी ने कहा, ‘‘अगर वित्तीय मामलों का निपटारा नहीं होता है और दोनों प्राधिकरण अपने रुख पर कायम रहते हैं तो न्यायालय इस कंपनी का प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपने के साथ मुझे कोर्ट रिसीवर के दायित्व से मुक्त कर सकता है।’’

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित आम्रपाली की अधूरी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वित्त जुटाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन दोनों प्राधिकरण परियोजनाओं के अप्रयुक्त एफएआर की बिक्री के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 23 जुलाई, 2019 को आम्रपाली समूह की अधूरी परियोजनाएं पूरा करने का सार्वजनिक निर्माण कंपनी एनबीसीसी को निर्देश देने के साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमनी को अपनी तरफ से रिसीवर नियुक्त किया था।

इस बीच, इन परियोजनाओं में घर खरीदने वालों की तरफ से न्यायालय को बताया गया कि एनबीसीसी ने करीब 3,000 अधूरे फ्लैटों को पूरा कर दिया है लेकिन प्राधिकरणों की तरफ से वहां बिजली एवं पानी के कनेक्शन नहीं दिए गए हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)