विमानन क्षेत्र में वृद्धि क्षमता के उपयोग के लिए कर व्यवस्था को भरोसेमंद बनाने की जरूरत: आईएटीए

विमानन क्षेत्र में वृद्धि क्षमता के उपयोग के लिए कर व्यवस्था को भरोसेमंद बनाने की जरूरत: आईएटीए

विमानन क्षेत्र में वृद्धि क्षमता के उपयोग के लिए कर व्यवस्था को भरोसेमंद बनाने की जरूरत: आईएटीए
Modified Date: June 3, 2025 / 06:35 pm IST
Published Date: June 3, 2025 6:35 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) वैश्विक विमानन कंपनियों के समूह आईएटीए ने मंगलवार को कहा कि भारत की कर प्रणाली जटिल है तथा देश में तेजी से बढ़ रहे नागर विमानन बाजार की क्षमता के उपयोग के लिए इसे और भरोसेमंद बनाने की जरूरत है।

आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि भारत उन नागर विमानन बाजारों में से एक है, जहां वृद्धि के काफी अवसर हैं और इसकी वृद्धि दर चीन से आगे निकलने की उम्मीद है।

हाल के दिनों में विदेशी विमानन कंपनियों को मिले कर नोटिस के संदर्भ में, वॉल्श ने कहा, ‘‘भारत में कर प्रणाली काफी जटिल है और यह हमारे उद्योग के लिए एक तरह से ‘विशेषता’ बन गयी है। यानी यह कोई नया मुद्दा नहीं है।’’

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वॉल्श ने कहा कि देश को पूरी क्षमता का उपयोग करने और इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए कराधान के मुद्दों का समाधान करना चाहिए।

उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में पीटीआई-भाषा के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कराधान को खत्म करना होगा, लेकिन मुझे लगता है कि आपको इस बारे में स्पष्ट समझ होनी चाहिए कि कराधान नियम कैसे लागू होते हैं।’’

इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि विमानन कंपनियों को कभी-कभी मौजूदा नियम की एक नई व्याख्या मिलती है जो पहले की व्याख्या से पूरी तरह अलग होती है।

ऐसी स्थिति में करों के लिए दावा किया जाता है जो भुगतान नहीं किया गया है और यह लंबे समय तक कानूनी विवाद और चर्चाओं की ओर ले जाता है जो अंततः हल हो जाती है। कई मामलों में यह एयरलाइन के पक्ष में जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत को वास्तव में यहां मौजूद विशाल अवसर का उपयोग करना है, तो कराधान के बारे में अधिक निश्चितता महत्वपूर्ण होगी।’’

अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट सहित 350 से अधिक विमानन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।

समूह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हवाई अड्डे के शुल्क अधिक होने के बारे में भी मुखर रहा है।

वॉल्श ने इस मुद्दे पर आईएटीए के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि विमानन कंपनियां किफायती कीमत पर कुशल हवाई अड्डा संचालन चाहती हैं। ‘‘हम चाहते हैं कि हवाई अड्डे विवेकपूर्ण तरीके से दीर्घकालिक निवेश करें जिसे उद्योग वहन कर सके।’’

वॉल्श के अनुसार, एयरलाइन कंपनियों और हवाई अड्डों के बीच अधिक संवाद की आवश्यकता है।

आईएटीए ने अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) एक से तीन जून तक राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित की गई। यह बैठक 42 साल में पहली बार भारत में हुई।

भाषा रमण अजय

अजय


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