न्यायाधिकरण ने जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं देने के लिए अर्बन एसेंस को दोषी ठहराया
न्यायाधिकरण ने जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं देने के लिए अर्बन एसेंस को दोषी ठहराया
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) नवगठित जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) ने मुनाफाखोरी के मामले में अपने पहले आदेश में सबवे लि. की फ्रेंचाइजी अर्बन एसेंस को जीएसटी दर कटौती का 5.47 लाख रुपये का लाभ ग्राहकों को नहीं देने का दोषी ठहराया है।
माल एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के पांच अगस्त के आदेश ने मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) की रिपोर्ट को बरकरार रखा है। इसमें कहा गया था कि अर्बन एसेंस ने खाद्य उत्पादों की कीमतों में कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं देकर 5.47 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है।
इस संबंध में आदेश जीएसटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा ने पारित किया।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने पुणे स्थित इकाई को 15 नवंबर, 2017 से 18 प्रतिशत ब्याज सहित 5,45,005 रुपये जमा करने और उसे तीन महीने के भीतर महाराष्ट्र के उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया।
यह मामला अर्बन एसेंस के खिलाफ एक ग्राहक की शिकायत से जुड़ा है। शिकायत में 15 नवंबर, 2017 से रेस्तरां सेवाओं पर जीएसटी दर में 18 प्रतिशत से पांच प्रतिशत की कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने का आरोप लगाया गया था।
जीएसटीएटी ने इस मुद्दे पर भी गौर किया कि क्या यह कंपनी कुछ बिल के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने की पात्र थी।
डीजीएपी ने इस बात की जांच की कि क्या जीएसटी दर में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दिया गया था। जांच करने के लिए 15 नवंबर, 2017 से 31 अक्टूबर, 2019 तक की अवधि को लिया गया था।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को एक दिसंबर, 2022 को जीएसटी के अंतर्गत मुनाफाखोरी-रोधी मामलों पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले, ऐसे मामलों का निर्णय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण करता था।
एक अक्टूबर, 2024 से माल एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ को मुनाफाखोरी-रोधी मामलों की जांच करने का अधिकार दिया गया है।
भाषा रमण अजय
अजय

Facebook



