उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तीन उच्चस्तरीय समितियां गठित

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तीन उच्चस्तरीय समितियां गठित

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तीन उच्चस्तरीय समितियां गठित
Modified Date: August 13, 2025 / 06:23 pm IST
Published Date: August 13, 2025 6:23 pm IST

लखनऊ, 13 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक निवेश को गति देने और निवेश की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत तीन उच्चस्तरीय समितियां गठित की हैं।

राज्य सरकार द्वारा बुधवार को यहां जारी एक बयान के मुताबिक प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता, दरों को तर्कसंगत बनाने और भवन उपनियमों को सरल बनाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव, एस.पी. गोयल के निर्देशानुसार तीन उच्च-स्तरीय समितियों का गठन किया गया है।

बयान के अनुसार यह पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश को ‘1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था’ में बदलने के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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बयान के मुताबिक गत पांच अगस्त को औद्योगिक भूमि की उपलब्धता के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई एक बैठक में यह पाया गया कि औद्योगिक विकास प्राधिकारणों तथा नॉएडा, ग्रेटर नॉएडा एवं यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के तहत लगभग चार लाख हेक्टेयर भूमि अधिसूचित है, जिसके अंतर्गत 1.5 लाख हेक्टेयर का मास्टर प्लान तैयार है। शेष की प्रक्रिया चल रही है।

अधिसूचना जारी होने से पहले बने भवनों के नक्शे पास कराने में आ रही कठिनाइयां के समाधान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।

बयान के अनुसार यह समिति अन्य राज्यों में प्रचलित व्यवस्थाओं का अध्ययन करेगी और अधिसूचित क्षेत्रों को विकसित करने और निवेश के लिए रास्ते खोलने के लिए एक रणनीति प्रस्तुत करेगी। नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे।

बयान के मुताबिक इसी तरह एक दूसरी समिति का गठन अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया गया है। यह समिति प्रदेश में औद्योगिक भूमि की दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए किया गया है।

यह पाया गया है कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक भूमि की दरें पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक हैं। उदाहरण के लिए, बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भूमि की दरें पास के मध्य प्रदेश के ग्वालियर से अधिक होने की संभावना है, जिससे निवेशकों को आकर्षित करना कठिन हो सकता है।

बयान के अनुसार यह दूसरी समिति ‘कारोबार करने की लागत’ को कम करने तथा अवस्थापना सुविधाओं के मानक पर विचार करने के साथ अन्य आवश्यक रणनीतियों पर काम करेगी।

बयान के मुताबिक औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भवन उपनियम अक्सर जटिल होते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीसरी समिति का गठन किया गया है।

इसका उद्देश्य भवन उपनियमों को सरल, तर्कसंगत और लोगों के लिए सरल बनाना है। इससे प्रत्येक इकाई क्षेत्रफल में अधिक निवेश हो सकेगा और उद्योगपति कम भूमि में भी अपने उद्योग स्थापित कर सकेंगे।

यह समिति अन्य राज्यों के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भवन उपनियमों का अध्ययन कर अपनी सिफारिशें देगी।

रिपोर्ट के अनुसार तीनों समितियों को अपनी सिफारिशें और सुझाव 15 दिनों के भीतर सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है। यह पहल राज्य में निवेश-अनुकूल माहौल को और मजबूत करेगी और उत्तर प्रदेश को देश का पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने में सहायक होगी।

भाषा सलीम नोमान रमण

रमण


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