तोमर ने भारतीय कृषि शोध संस्थान के असम परिसर का उद्घाटन किया

तोमर ने भारतीय कृषि शोध संस्थान के असम परिसर का उद्घाटन किया

तोमर ने भारतीय कृषि शोध संस्थान के असम परिसर का उद्घाटन किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:34 pm IST
Published Date: September 26, 2020 10:12 am IST

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के असम परिसर का उद्घाटन किया और कहा कि इस संस्थान की स्थापना से पूर्वोत्तर में कृषि शिक्षा और अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को मंत्री ने असम के गोगामुख में नए आईएआरआई के परिसर को राष्ट्र को समर्पित किया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई 2017 में असम में 155 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की स्थापना किये जाने को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में कृषि-शिक्षा को बढ़ावा देना और दूसरी हरित क्रांति को हासिल करना है।

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बयान में कहा गया है कि वर्ष 2020-21 के सत्र से भर्ती होने वाले छात्रों की कक्षाएं आरंभ में आईएआरआई, असम परिसर में शुरू की जाएंगी। इसमें तीन प्रभाग कार्य करेंगे जैसे कि फसल सुधार , बागवानी प्रभाग और पशुविज्ञान एवं मत्स्यपालन प्रभाग।

इस अवसर पर बोलते हुए, तोमर ने घोषणा की कि आईएआरआई, असम का नाम दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस संस्थान की स्थापना से असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम राज्यों में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के विकास को गति मिलेगी।

बयान में कहा गया है कि सरकार बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने और हर समय पर्याप्त खाद्य भंडार सुनिश्चित करने के लिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।

तोमर ने किसानों की आय और निर्यात के अवसरों को बढ़ाने के लिए स्थानीय रूप से विकसित फसलों के महत्व पर जोर दिया।

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आईएआरआई, असम की स्थापना के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि संस्थान अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगा।

उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों की कृषि आय बढ़ाने के लिए क्षेत्र की स्थानीय रूप से विकसित बागवानी फसलों पर अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया।

उन्होंने यह भी उम्मीद की कि उत्तर पूर्वी राज्यों को फिर से आईसीएआर-आईएआरआई, असम की मदद से ‘‘धान का कटोरा’’ के रूप में जाना जाएगा।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर


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