Trump Tariffs: ट्रंप ने अचानक क्यों बदला अपना रूख? ट्रैरिफ ब्रेक के पीछे छिपे ये बड़े कारण, जानिए 

Trump Tariffs: ट्रंप ने अचानक क्यों बदला अपना रूख? ट्रैरिफ ब्रेक के पीछे छिपे ये बड़े कारण, जानिए 

Trump Tariffs: ट्रंप ने अचानक क्यों बदला अपना रूख? ट्रैरिफ ब्रेक के पीछे छिपे ये बड़े कारण, जानिए 

Today News Live Update 15 May 2025/ Image Credit: Donald J. Trump X)

Modified Date: April 14, 2025 / 07:12 pm IST
Published Date: April 14, 2025 7:12 pm IST
HIGHLIGHTS
  • ट्रंप ने टैरिफ पर 90 दिन का ब्रेक दिया, जिससे बाजार को अस्थायी राहत मिली।
  • टैरिफ से टेस्ला का एशियाई मार्केट चीन की BYD ने हथिया लिया।
  • डॉलर कमजोर होने और निर्यात घटने से कर्ज का बोझ बढ़ा।

Trump Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ पॉलिसी पर 90 दिनों का ब्रेक देकर दुनिया भर के शेयर मार्केट को बड़ी राहत दी है। इस फैसले के बाद भारतीय शेयर बाजार समेत ग्लोबल मार्केट में अच्छी तेजी देखने को मिली है। हालांकि, यह राहत अस्थायी तौर पर है क्योंकि 90 दिनों के बाद अमेरिका फिर से टैरिफ लागू कर सकता है। अब देखने वाली बात है कि यह यू-टर्न क्यों आया है? इसके ये मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

बॉन्ड और शेयर बाजार दोनों लुढ़के

आमतौर पर अमेरिका में बॉन्ड और शेयर बाजार एक-दूसरे के विपरीत चलते हैं। किंतु टैरिफ के ऐलान के बाद दोनों ही एक साथ गिर गए। विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही चीन को टैरिफ की आशंका हुई, उसने अमेरिकी बॉन्ड बेचना शुरू कर दिया। इससे अमेरिका की आर्थिक स्थिति और ज्यादा कमजोर हो गई।

नकदी का कमी और महंगाई का खतरा

बॉन्ड और शेयर बाजार की गिरावट से अमेरिका में नकदी की कमी होने लगी। इसके साथ ही टैरिफ की वजह से आयात-निर्यात ठप हो गया, जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा मंडराने लगा। ट्रंप सरकार पर दबाव बढ़ा कि वह अंतरराष्ट्रीय बातचीत के रास्ते खोले और टैरिफ को थोड़े समय के लिए ब्रेक दिया।

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टेस्ला के बिजनेस को BYD ने पछाड़ा

एशिया में टेस्ला का बिजनेस चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनी BYD ने छीन लिया। ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण टेस्ला की कारें महंगी हो गईं, जबकि BYD की कारें सस्ती थीं। इससे एशियाई देशों ने BYD को प्राथमिकता दी और टेस्ला का मार्केट शेयर कम हो गया।

निर्यात घटने से डॉलर कमजोर

टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिका का निर्यात घट गया और डॉलर कमजोर हो गया, इससे देश के ऊपर कर्ज चुकाने का दबाव बढ़ा और आमदनी घट गई। इस असंतुलन को दूर करने के लिए ट्रंप को अपनी टैरिफ नीति में बदलाव करना पड़ा।

ट्रंप के सुझाव को फेडरल रिजर्व ने नकारा

ट्रंप चाहते थे कि यूएस फेड ब्याज दरें घटाए जिससे अर्थव्यवस्था को राहत मिले। लेकिन फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें नहीं घटाई। इससे भी अमेरिको की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

प्रॉफिट मार्ट के विशेषज्ञ का कहना है कि ट्रंप को यह ब्रेक तब देना पड़ा जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था एक साथ कई संकटों से जूझ रही थी। वहीं बसव कैपिटल के एक्सपर्ट का कहना है कि चीन और अन्य देशों ने अमेरिका बॉन्ड बेचकर ट्रंप को बैकफुट पर ला दिया।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।