ब्रिटेन-भारत कंपनी मंच की घरेलू,विदेशी कंपनियों पर कॉरपोरेट कर का अंतर कम करने की सिफारिश

ब्रिटेन-भारत कंपनी मंच की घरेलू,विदेशी कंपनियों पर कॉरपोरेट कर का अंतर कम करने की सिफारिश

ब्रिटेन-भारत कंपनी मंच की घरेलू,विदेशी कंपनियों पर कॉरपोरेट कर का अंतर कम करने की सिफारिश
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: January 15, 2021 1:25 pm IST

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) ब्रिटेन-भारत उद्यम परिषद (यूकेआईबीसी) ने आगामी बजट से पहले भारत सरकार से घरेलू कंपनियों व विदेशी कंपनियों के बीच कॉरपोरेट कर की दरों का अंत कम करने की सिफारिश की है।

यूकेआईबीसी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आम बजट 2021 के लिये दिये गये सुझाव में कहा है कि घरेलू कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती तथा लाभांश वितरण कर (डीडीटी) की समाप्ति से कॉरपोरेट कर की लागू दरों में काफी फर्क आ गया है। घरेलू कंपनियों के लिये इसकी प्रभावी दर जहां 25.17 प्रतिशत है, वहीं यह दर विदेशी कंपनियों के लिये 43.68 प्रतिशत है।

यूकेआईबीसी के ग्रुप सीईओ जयंत कृष्णा ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर यह सामान्य प्रथा है कि एक ही उद्योग में काम कर रही हर प्रकार की कंपनियों के लिये कर की दरों में साम्य रहे। इसका उदाहरण भारत को छोड़ शेष सभी ब्रिक्स देश और अधिकांश ओईसीडी देश हैं। हांगकांग और सिंगापुर जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय केंद्रों में भी ऐसी ही व्यवस्था है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डीडीटी को समाप्त करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इस बात का सुझाव दिया जाता है कि विदेशी कंपनियों की घरेलू शाखाओं के लिये कर की दरों को कम कर घरेलू कंपनियों के समतुल्य किया जाये।’’

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कृष्णा ने कहा कि नियामकीय व व्यावसायिक कारणों से विदेशी बैंक भारत में सामान्यत: शाखा के जरिये काम करते हैं। ऐसी शाखाओं के लिये कॉरपोरेट कर की दरें कम करने से उन्हें घरेलू बैंकों की तुलना में समान अवसर मिलेंगे। इससे उन विदेशी निकायों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो शाखा के जरिये भारत में निवेश करना चाहते हैं।’’

यूकेआईबीसी के ग्रुप चेयरपर्सन रिचर्ड हील्ड ने बजट की घोषणाओं के माध्यम से भारत सरकार से आर्थिक सुधारों की गति बढ़ाने का आग्रह किया।

इनके अलावा यूकेआईबीसी ने रक्षा क्षेत्र का आवंटन बढ़ाने, स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाने, बीमा में एफडीआई की सीमा बढ़ाने, शिक्षा व कौशल विकास पर सरकारी खर्च अधिक करने, स्वास्थ्य पर व्यय तेज करने जैसे अन्य सुझाव भी दिये हैं।

भाषा सुमन पाण्डेय मनोहर

मनोहर


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