पोत पुनर्चक्रण में 50 प्रतिशत वैश्विक हिस्सेदारी पर काबिज होने में सक्षम है अलंग: मंत्री मंडाविया

पोत पुनर्चक्रण में 50 प्रतिशत वैश्विक हिस्सेदारी पर काबिज होने में सक्षम है अलंग: मंत्री मंडाविया

  •  
  • Publish Date - October 4, 2020 / 10:57 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

अलंग (गुजरात), चार अक्टूबर (भाषा) पोत पुनर्चक्रण कानून के बनने के बाद भारतीय नौसेना के आईएनएस विराट युद्धपोत को पुनर्चक्रण के लिये गुजरात के अलंग शिप-ब्रेकिंग यार्ड में लाया गया है। यह इस यार्ड पर आने वाला पहला विशालकाय युद्धपोत जिसके साथ नौसेना का गए गौरवशाली इतिहास जुड़ा है।

केंद्रीय मंत्री हंसमुख मंडाविया का कहना है कि इसके दम पर भारत पोत पुनर्चक्रण के वैश्विक कारोबार में कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पर काबिज होने के लिये तैयार है।

केंद्रीय नौवहन मंत्री मंडाविया ने कहा कि अलंग शिप ब्रेकिंग यार्ड पोतों का पुनर्चक्रण करने वाले विश्व के सबसे बड़े यार्ड में से एक है। इस यार्ड में पुनर्चक्रण के लिये आने वाले पोतों की संख्या में लॉकडाउन के बाद तेजी आयी है। इसके कारण वित्त वर्ष 2020-21 के अलंग यार्ड के लिये सबसे अच्छा सत्र होने का तथा 40 प्रतिशत वैश्विक पोतों के पुनर्चक्रण के लिये यहां आने का अनुमान है।

अभी दुनिया भर में 53 हजार वाणिज्यिक पोत हैं, जिनमें से हर साल एक हजार पोतों का पुनर्चक्रण होता है। इनमें से चार सौ पोत का पुनर्चक्रण गुजरात के भावनगर जिले में स्थित अलंग यार्ड में होता है।

मंडाविया ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अलंग के साथ विशिष्ट बात है कि यहां 10 से 12 मीटर के दायरे में लहरों का उतार-चढ़ाव होता है। भारत सरकार और गुजरात की राज्य सरकार ने इसे भुनाने का निर्णय लिया है। इस विशिष्टता के कारण इस यार्ड पर पोत सीधे किनारे लग जाते हैं। इसी कारण आईएनएस विराट को भी सीधे किनारे लगाया जा सका था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर एक हजार जहाजों का प्रति वर्ष पुनर्चक्रण किया जाता है और इसमें से 40 प्रतिशत का पुनर्चक्रण यहां अलंग में किया जाता है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा पुनर्चक्रण उद्योग है। हम जहाज पुनर्चक्रण में अपना वैश्विक हिस्सा 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिये कई पहल कर रहे हैं।’’

भाषा सुमन मनोहर

मनोहर