डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों को पेटेंट छूट मामले में विधिवत प्रस्ताव रखकर बातचीत शुरू करनी चाहिए: भारत

डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों को पेटेंट छूट मामले में विधिवत प्रस्ताव रखकर बातचीत शुरू करनी चाहिए: भारत

डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों को पेटेंट छूट मामले में विधिवत प्रस्ताव रखकर बातचीत शुरू करनी चाहिए: भारत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:00 pm IST
Published Date: June 1, 2021 12:41 pm IST

नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) भारत ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों को कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर पेटेंट छूट मामले में विधिवत प्रस्ताव के साथ बातचीत शुरू करने के लिये सहमति जताकर इस संकट के समय कुछ सुनिश्चितता लानी चाहिए।

ट्रिप्स की 31 मई को अनौपचारिक बैठक में दिये अपने बयान में भारत ने कहा कि कुछ सदस्य देश अगर प्रक्रिया में देरी करने का प्रयास जारी रखते हैं, तो भी मूल विषय वस्तु आधारित बातचीत शुरू करने को लेकर तौर तरीके तलाशने का प्रयास जारी रहना चाहिये।

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इस संदर्भ में भारत, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया समेत 62 सह-प्रायोजकों ने प्रस्ताव देकर कोविड-19 से संबंधित चिकित्सा उत्पादों के विनिर्माण को लेकर पेटेंट से छूट की मांग की है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार अक्टूबर 2020 में कोविड-19 संक्रमण के इलाज और उसकी रोकथाम के संदर्भ में प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य देशों को ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते) समझौते के कुछ प्रावधानों से छूट दिए जाने का प्रस्ताव रखा था।

ट्रिप्स समझौता जनवरी 1995 में लागू हुआ। यह कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन, अघोषित सूचना या व्यापार संबंधी गोपनीय जानकारी की सुरक्षा जैसे बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर किया गया बहुपक्षीय समझौता है।

भारत ने बयान में कहा, ‘‘वायरस ने हमें छूट की आवश्यकता या लाभ के बारे में अनंतकाल तक चर्चा करने का समय नहीं दिया है। हमें इस अनिश्चितता की घड़ी में छूट प्रस्ताव पर विधिवत दस्तावेज आधारित वार्ता शुरू करने के लिए सहमत होकर कुछ भरोसा कायम करना चाहिए।’’

बयान के अनुसार अगर ऐसा नहीं किया गया तो इससे डब्ल्यूटीओ की साख को ज्यादा धक्का लगेगा और यह सामूहिक विफलता भावी पीढ़ी को याद रहेगी।

इस प्रस्ताव पर पिछले कुछ महीनों में कई दौर की चर्चा हो चुकी है। प्रस्ताव के सह-प्रायोजकों ने सदस्यों द्वारा उठाई गई कई चिंताओं और सवालों को लेकर लिखित में व्यापक स्तर पर जवाब दिये हैं।

बयान के अनुसार, ‘‘छूट के महत्व और इसकी जरूरत दोनों को साबित करने के लिए तर्कों और आंकड़ों की कोई कमी नहीं है।’’

भारत ने कहा कि ट्रिप्स छूट बौद्धिक संपदा (आईपी) से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिये एक जरूरी और अस्थायी कानूनी उपाय हैं। इससे अधिक-से-अधिक कंपनियां बौद्धिक संपदा नियमों के उल्लंघन के भय के बिना काम करने को स्वतंत्र होंगी और कोविड-19 टीके समेत उससे जुड़े अन्य चिकित्सा उत्पादों को उत्पादन कर सकेंगी।

बयान में कहा गया है, ‘‘छूट प्रस्ताव के सह-प्रायोजक के रूप में हम मानते हैं कि केवल बौद्धिक संपदा ही विनिर्माण को बढ़ाने और आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर करने में रोड़ा नहीं हैं, बल्कि हमारा मानना है कि यह (आईपी) आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करने में सबसे बड़ी बाधा है। अत: इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटान करने की जरूरत है। यह छूट पर्याप्त नहीं है बल्कि इसके साथ ही एक बहुआयामी रणनीति भी जरूरी है।’’

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर


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