Chaitra Navratri 2025 ki Panchami kab hai

Chaitra Navratri Panchami Tithi 2025: नवरात्रि का पांचवां दिन आज, मां स्कंदमाता की होगी पूजा, यहां जाने पूजा विधि

Chaitra Navratri Panchami Tithi 2025: आज नवरात्रि का पांचवां दिन है और पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

Edited By :  
Modified Date: April 2, 2025 / 07:49 AM IST
,
Published Date: April 2, 2025 7:48 am IST
HIGHLIGHTS
  • चैत्र नवरात्री का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
  • आज नवरात्रि का पांचवां दिन है।
  • पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

रायपुर: Chaitra Navratri Panchami Tithi 2025: चैत्र नवरात्री का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज नवरात्रि का पांचवां दिन है और पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्रि पर तृतीया तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिन के हैं। चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि 2 अप्रैल 2025, बुधवार को है। ऐसा माना जाता है कि, मां सकंदमाता अपने भक्तों पर अपार स्नेह लुटाती है। मान्यता है कि, मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियों दूर होती हैं और कार्यों की विघ्न-बाधा भी खत्म होती है। स्कंदमाता की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने व व्रत करने से जातक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरुप को स्कंदमाता का नाम मिला।

यह भी पढ़ें: Wednesday Ka Rashifal: आज से चमक उठेगी इन राशि के जातकों की किस्मत, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि 

पंचमी तिथि की पूजा विधि

Chaitra Navratri Panchami Tithi 2025:  इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां स्कंदमाता को गंगाजल से स्नान कराएं। चुनरी व वस्त्र आदि अर्पित करें। रोली, कुमकुम आदि लगाएं। इसके बाद मां को मिठाई व फलों का भोग लगाएं। मां की आरती करें।

स्कंदमाता को प्रिय है ये भोग

Chaitra Navratri Panchami Tithi 2025:  मान्यता है कि मां स्कंदमाता को केले का भोग अतिप्रिय है। आप माता रानी को खीर का भोग भी लगा सकते हैं।

स्कंदमाता का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः