Vishnu Ka Sushasan: बस्तर में आजादी का नया सवेरा, 29 गांवों में पहली बार फहराया गया तिरंगा, साय सरकार की नीतियों का दिखा सकारात्मक परिणाम
बस्तर में आजादी का नया सवेरा, 29 गांवों में पहली बार फहराया गया तिरंगा, A new dawn of independence in Bastar, the Tiranga was hoisted for the first time in 29 villages
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार प्रदेश को संवारने के लिए प्रतिबद्ध है। नक्सलवाद के मोर्चे पर भी साय सरकार केंद्र सरकार के साथ बेहतर समन्वय से काम कर रही है। यही वजह है कि नक्सलवाद के खात्मे की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। प्रदेश में नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है। बस्तर संभाग जो दशकों तक नक्सलवाद के साए में रहा, अब लोकतंत्र के उजाले की ओर बढ़ रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिलों के 29 गांवों में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। पहली बार स्वतंत्रता के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर ग्रामीणों के चेहरों पर एक अलग खुशी दिखी।
Vishnu Ka Sushasan: दरअसल, छत्तीसगढ़ की साय सरकार बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए बेहतर रणनीति बनाई है। अंदरूनी इलाकों में नए कैंप खोले जा रहे हैं। कैंप स्थापित होने से नक्सलियों की कमर टूट चुकी हैं. इतना ही नहीं लगातार फोर्स के दबाव के चलते इलाके के सैंकड़ों नक्सलियों ने मुख्य धारा में लौट आए हैं। जवान केवल नक्सलियों को खत्म करने या उन्हें सरेंडर करने के लिए ही मजबूर नहीं कर रहे, अपितु उन क्षेत्रों में अपने ‘सिविक एक्शन प्रोग्राम’ के जरिए वहां के लोगों का जीवन स्तर भी ऊपर उठा रहे हैं। यहीं वजह है कि अब बस्तर में एक नई शांति दिख रही है। अबुझमाड़ के कई गांवों में अब लोकतंत्र का नया उजाला दिख रहा है। नियद नेल्ला नार योजना सहित सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा और अन्य योजनाओं से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने लगा है। बस्तर में सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल और रोजगार परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे ग्रामीणों का शासन और लोकतंत्र पर विश्वास बढ़ा है।
प्रशस्त हुआ शांति और विकास का मार्ग
साय सरकार की नीतियों, सुरक्षा बलों के त्याग और ग्रामीणों की उम्मीद ने मिलकर नक्सलवाद के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। इन गांवों में तिरंगा फहराना उस ऐतिहासिक बदलाव का प्रमाण है, जो सुरक्षा बलों के साहस, राज्य और केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सबसे बढ़कर ग्रामीणों के धैर्य और विश्वास से संभव हुआ है। बीजापुर जिले के कोंडापल्ली, जीड़पल्ली, वाटेवागु, कर्रेगुट्टा, पिड़िया, पुजारीकांकेर और भीमारम जैसे गांव; नारायणपुर जिले के गारपा, कच्चापाल, बेड़माकोट्टी, कांदूलनार, रायनार सहित कई गांव; तथा सुकमा जिले के गोमगुड़ा, गोल्लाकुंडा, नुलकातोंग और उसकावाया जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में आज़ादी के बाद पहली बार तिरंगे का फहरना एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
अब पुलिस की सीधी पहुंच में हैं माओवादियों के शीर्ष नेता
बस्तर को कभी माओवादियों की राजधानी माना जाता था और यहां माओवादियों के शीर्ष नेता अब पुलिस की सीधी पहुंच में हैं।यही वजह है कि अबूझमाड़ जैसे सबसे सुरक्षित ठिकाने में पुलिस ने माओवादियों के देश के शीर्ष कमांडर बसवराज को मुठभेड़ में मार गिराया। वहीं दूसरी तरफ चार सीसी कैडर के नक्सली नेता अब तक मारे जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे महाराष्ट्र, तेलंगाना, उड़ीसा में भी अधिकांश शीर्ष नक्सली मारे जा चुके हैं।

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