रेलवे मालामाल.. यात्री हाल-बेहाल! क्या जनसरोकार को लेकर खत्म हो गई है रेलवे की जिम्मेदारी?

रेलवे मालामाल.. यात्री हाल-बेहाल! क्या जनसरोकार को लेकर खत्म हो गई है रेलवे की जिम्मेदारी? : After all what is the real reason for the cancellation of trains

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  • Publish Date - May 24, 2022 / 11:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

रायपुरः गर्मी की छुट्टी के लिए लोग साल भर से प्लानिंग करते हैं। किसी को अपने रिश्तेदारों के यहां शादी में जाना होता है, कोई स्कूल की छट्टी में गांव जाना चाहता है, तो कोई काम से ब्रेक लेकर कहीं घूमने का प्लान बनाता है. लेकिन पिछले दो महीनों से करीब तीन दर्जन ट्रेनें रद्द थीं। रेलवे ने इसे महीने और बढ़ा दिया। रेलवे के इस फैसले ने आम से लेकर खास, हर वर्ग के लोगों को रुला कर रख दिया है। सवाल है क्या रेलवे को आम लोगो के दुख दर्द से कोई वास्ता नहीं रह गया है, क्या जनसरोकार को लेकर उसकी तमाम जिम्मेदारी खत्म हो गई है।

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बिलासपुर जोन से होकर गुजरने वाली करीब 3 दर्जन ट्रेनें रद्द हैं। यूं तो ट्रैक मेंटनेंस और लाइन कनेक्टिविटी के नाम पर यात्री ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला फरवरी से शुरू है। लेकिन कोयला ढुलाई के नाम पर सीधे-सीधे 27 ट्रेनें मार्च से कैंसिल होने लगी। इसके बाद 23 अप्रैल फिर 4 मई को ट्रेनें रद्द करने का आदेश जारी किया। रद्द ट्रेनें बहाली की उम्मीद पाले आम आदमी को झटका तब लगा जब रेलवे ने पहले से रद्द 34 ट्रेनों को अगले एक महीने के लिए रद्द करने का आदेश जारी किया।

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पिछले दो महीनों से रद्द ट्रेनों ने यात्रियों को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया है। गर्मी की छुट्टी है, और लोगों को कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा। महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश जाने वाली प्रमुख ट्रेनें रद्द हैं। बिलासपुर जोन से गुजरने वाली कटनी, भोपाल, रीवा रूट की ज्यादातर ट्रेनें रद्द हैं। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ से इतवारी, नागपुर, शहडोल, झारसुगड़ा तक चलने वाली लोकल ट्रेनें भी रद्द हैं। इसके अलावा जो ट्रेनें चल रही हैं, वो भी घंटों-घंटों लेट चल रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि कोयला ढुलाई के कारण कुछ ट्रेनों को रद्द करने की नौबत आई है।

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कोरोना की वजह से मार्च 2020 से जनरल टिकट बंद है, केंद्र सरकार ने कोविड गाइडलाइन देश भर से हटा दी है, लेकिन रेलवे ने जनरल टिकट अबतक शुरू नहीं की है। स्टेशन के बाहर टिकट काउंटर पर ही TTE ढाई सौ लेकर 400 रुपए तक फाइन काटते हैं और फिर उसी स्लिप के आधार पर लोग जनरल बोगी में सफर कर रहे हैं। यानी सीधे-सीधे गरीब, मजदूर और आम आदमी की जेब ढीली की जा रही है।