CG Ki Baat: जाति जनगणना' की सौगात..घर वापसी की शुरुआत! क्या देशभर में धर्मांतरित आदिवासी बड़ी संख्या में घर वापसी करने जा रहे हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट |

CG Ki Baat: जाति जनगणना’ की सौगात..घर वापसी की शुरुआत! क्या देशभर में धर्मांतरित आदिवासी बड़ी संख्या में घर वापसी करने जा रहे हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Ki Baat: जाति जनगणना' की सौगात..घर वापसी की शुरुआत! क्या देशभर में धर्मांतरित आदिवासी बड़ी संख्या में घर वापसी करने जा रहे हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट

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Modified Date: May 5, 2025 / 11:28 PM IST
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Published Date: May 5, 2025 11:28 pm IST
HIGHLIGHTS
  • जाति जनगणना के बाद आदिवासी धर्मांतरण में कमी आई और कई परिवारों ने वापसी शुरू की
  • बस्तर के केशकाल में एक परिवार ने आदिवासी समाज में फिर से प्रवेश किया, उन्हें विधिवत पूजा अर्चना कर स्वीकार किया गया।
  • आदिवासी समुदाय के बीच अब जागरूकता बढ़ रही है कि धर्म परिवर्तन से आरक्षण का लाभ खो सकता है।

रायपुर: प्रदेश में आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा में धर्मांतरण एक बड़ी समस्या रही है। एक लंबा दौर चला जबकि भाजपा-कांग्रेस के बीच धर्मांतरण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का लगत रहे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना करानी घोषणा की है तो राज्य ने कड़े कानून लाने की बात की। जिसके बाद एक पॉजिटिव संकेत ये मिला कि छत्तीसगढ़ में ईसाई बने आदिवासी परिवार वापस अपने समाज में लौटने लगे हैं। जाहिर तौर पर धर्मांतरण कर चुके आदिवासी जाति जनगणना के बाद की स्थिति के बारे में समझ रहे होंगे। वो जानते हैं कि अगर जाति जाहिर हो गई तो वो धर्मांतरण के चलते आरक्षण का लाभ हमेशा के लिए खो देंगे, तो क्या जाति जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने सोचा-समझा मूव लिया है क्या आदिवासी समाज ने, खासकर कन्वर्टेड परिवारों ने इसी के असर को कैलकुलेट कर घर वापसी शुरू कर दी है।

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सुना आपने, ये वो वजह है जिसके चलते बस्तर में ज्यादातर आदिवासियों ने परिवार समेत क्रिश्चन धर्म अपनाया…लेकिन केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने के ऐलान और राज्य सरकार के धर्मांतरण रोकने कड़ा कानून लाने की तैयारी देखने के बाद से ना सिर्फ धर्मांतरण के मामले कम हो रहे हैं बल्कि मतांतरित लोगों ने घर वापसी शुरू कर दी है। केशकाल के बडेराजपुर विकासखंड में ग्राम पिटीचुआ में डेढ़ साल पहले क्रिश्चन धर्म अपना चुके एक परिवार के 6 लोग और एक अन्य परिवार के 7 लोगों ने फिर से आदिवासी समाज में शामिल होगा। आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने इन्हें इष्ट देवी देवताओं की विधिवत पूजा अर्चना कर फिर से आदिवासी समाज में शामिल किया।

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साफ है कि बस्तर में गंभीर को ठीक करने का लालच देकर, उन्हें गुमराह कर, कई-कई भोलेभाले आदिवासी परिवारों को प्रार्थना सभाओं में बुलाकर चमत्कार का छलावा देकर क्रिश्चन धर्म में कन्वर्ट किया गया। जो अब जातिगत जनगणना और कड़े कानून की बात सुनकर परिवार समेत मूल आदिवासी समाज में वापसी कर चले हैं, जाहिर है ये अच्छा संकेत हैं लेकिन शायद ये बात सियासी लिहाज से लोगों को रास नहीं आ रही, सवाल अब भी ये है कि रिमोट एरिया में अपनी छोटी-छोटी परेशानियों और बीमारियों के लिए आदिवासियों को ऐसे ढोंगी सभाओं में क्यों जाना पड़ रहा है, क्या उन्हें राहत देने के लिए सिस्टम में अब पर्याप्त इंतजाम हो चुके हैं?

बस्तर में आदिवासी परिवारों का धर्मांतरण क्यों हुआ था?

बस्तर में कई आदिवासी परिवारों को लुभाकर और चमत्कारी दावों से क्रिश्चन धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद, केंद्र सरकार की जाति जनगणना और राज्य सरकार द्वारा धर्मांतरण रोकने के कड़े कानून की घोषणा के कारण इन परिवारों ने घर वापसी शुरू कर दी है।

क्या जाति जनगणना का धर्मांतरण पर असर पड़ा है?

जाति जनगणना के बाद धर्मांतरण का असर आदिवासी समुदाय पर पड़ा है। आदिवासी समाज के लोग अब यह समझ रहे हैं कि धर्म परिवर्तन के बाद वे आरक्षण का लाभ खो सकते हैं, जिसके कारण वे समाज में वापसी कर रहे हैं।

क्या अब आदिवासियों को स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाएं मिल रही हैं?

सवाल यह है कि आदिवासियों को अब भी रिमोट एरिया में अपनी छोटी-छोटी समस्याओं और बीमारियों के लिए धार्मिक सभाओं का सहारा क्यों लेना पड़ता है। प्रशासन को आदिवासी समाज के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।