Chhattisgarh Mein Sone ka Khadan: छत्तीसगढ़ में सोने का भंडार! शुरू हुई खुदाई, इतने क्विंटल गोल्ड मिलने का अनुमान…
Chhattisgarh Mein Sone ka Khadan Kahan Per Hai | छत्तीसगढ़ में सोने का भंडार! शुरू हुई खुदाई, इतने क्विंटल गोल्ड मिलने का अनुमान...
balodabazar news/ image source: Beats in Brief x handle
- बलौदाबाजार के सोनाखान जंगलों में सोने की खुदाई आधिकारिक रूप से शुरू।
- बाघमाड़ा बनेगा छत्तीसगढ़ और मध्यभारत का पहला गोल्ड माइंस क्षेत्र।
- खुदाई से लगभग 500 किलो सोना निकलने का अनुमान लगाया गया।
बलौदाबाजार: Chhattisgarh Mein Sone ka Khadan Kahan Per Hai छत्तीसगढ़ में एक नया इतिहास रचा जाने वाला है। बलौदाबाजार जिले के सोनाखान क्षेत्र के बाघमाड़ा जंगलों में सोने की खुदाई का कार्य आधिकारिक रूप से शुरू हो गया है। यह छत्तीसगढ़ की पहली सोने की खान होगी, जो न केवल प्रदेश बल्कि मध्य भारत के औद्योगिक और आर्थिक नक्शे पर एक बड़ी पहचान बनाने जा रही है। बताया जा रहा है कि यहां से करीब 500 किलो सोना निकलने का अनुमान लगाया गया है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।
वेदांता ग्रुप ने गोल्ड माइंस ने लगाई सबसे ऊंची बोली
Chhattisgarh Mein Sone ka Khadan Kahan Per Hai स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के लिए वेदांता ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी और अब खुदाई का कार्य उन्हीं के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस परियोजना को राज्य सरकार की अनुमति और पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के बाद शुरू किया गया है। बाघमाड़ा के जंगलों में पहले सर्वेक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने सोने के भंडार के संकेत दिए थे, जिसके बाद कई महीनों तक यहां जियो-टेक्निकल और भू-वैज्ञानिक अध्ययन हुआ। अब इन रिपोर्टों के आधार पर वास्तविक खुदाई प्रारंभ हो चुकी है।
लगभग 500 किलो सोना मिलने के आसार
Baloda bazar News: विशेषज्ञों के अनुसार, इस खान से प्रारंभिक चरण में लगभग 500 किलो सोना प्राप्त हो सकता है, और भविष्य में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। खुदाई का काम अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा मानकों के साथ किया जा रहा है ताकि पर्यावरण और वन क्षेत्र को न्यूनतम नुकसान पहुंचे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्थानीय समुदायों और वन्यजीव संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। खुदाई और प्रोसेसिंग कार्य में सैकड़ों मजदूरों, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी।
बताते चलें कि, सोनाखान का यह इलाका ऐतिहासिक रूप से भी चर्चित रहा है। कहा जाता है कि ब्रिटिश शासन के समय यहाँ स्वर्ण भंडार होने की चर्चा थी, लेकिन तकनीकी सीमाओं के कारण उस दौर में इसकी खुदाई संभव नहीं हो सकी थी। अब आधुनिक तकनीक और निवेश के सहारे यह सपना साकार होता दिख रहा है।

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